ENGLISH HINDI Thursday, March 28, 2024
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
बरनाला के बहुचर्चित सन्नी हत्याकांड में आरोपित हुए बा-इज्जत बरी वर्ष 2025 से विनाशकारी आपदाएं अपना तीव्रतम रूप धारण करने लगेंगी : पं. काशीनाथ मिश्रवरिष्ठ पत्रकार जगीर सिंह जगतार का निधन गतका खेल लड़कियों के लिए आत्मरक्षा का बेहतर, आसान और सस्ता विकल्प - हरजीत सिंह ग्रेवालश्री सांई पालकी शोभा यात्रा पहुंची चण्डीगढ़-पंचकूला में बाबा भक्तों के द्वारखास खबरः चुनावों संबंधित हर नई अपडेट के लिए बरनाला प्रशासन ने तैयार किया सोशल मीडिया हैंडलमेडिकल स्टोर ने 40 रूपये के इंजेक्शन का बिल नहीं दिया, उपभोक्ता आयोग ने 7000 रुपया का जुर्माना ठोकाशिकंजाः किसी भी धार्मिक स्थल पर राजनीतिक रैली नहीं कर सकेंगी राजनीतिक पार्टियां
कविताएँ

मानस चोला

August 24, 2017 12:31 PM

— शिखा शर्मा


शाख से टूटे पत्ते का
न कोई दूजा छोर
इत तरफ जन्म है
अंत है उत ओर
प्रेम शाख से उमड़े अपार
छूटन के न आए विचार
नित दिन उड़े-हिले
खेले कूदे पवन के साथ
यौवन में हरियाली संग
मेह के छींटे उड़ेरे चार
गरजा बदरा चौन्धी ताडित
दर्प से दिए सब नकार
अहं की रट ने भूला दिए
भोग योनि के सबहूं नियम प्रकार
सुहृद पात को देखकर
उपजे ईर्ष्या द्वन्द विकार
रट विधाता नाम ही
ले जाएगी वैतरणी पार
पतझड़ पीड़ा का अंदेशा
ह्दय मे बसा
छपटे बिन घटा सावन बरसे
टूटा पेर की शाख का साथ
सूखा, झड़ा फिर उड़ा
औंधे मुंह प्राण दिए उढ़ेर
क्षण में अग्नि का ग्रास
क्षण में मिट्टी का ढ़ेर
शाख से टूटे पत्ते का
न कोई दूजा छोर
इत तरफ जन्म है
अंत है उत ओर

Shikkha Sharma

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें