ENGLISH HINDI Saturday, April 20, 2024
Follow us on
 
कविताएँ

नए वर्ष की आरजू

December 31, 2017 06:44 PM

- शिखा शर्मा
कुछ ख्वाहिशें
कुछ सपने
कुछ अपने
इस तरह नाराज़ हुए
न हसरतें
न आरजूं
न तमन्नाएं
कुछ भी तो पूरा नहीं हुआ इस वर्ष
कैसे मनाऊं मैं नव वर्ष
मेरी आस
मेरी प्यास
मेरी तलाश
सब कुछ बिखरा तो पड़ा है!
कतरा-कतरा और
बेजान- सा
दिसम्बर के कोहरे और धूप की
आंखमिचौली में
तड़पता है अंत:मन
नए साल की ऊर्जा को लेकर
हूं थोड़ा- सा उत्साहित
कुछ नया
कुछ खुशनुमा
कुछ खुशियां
मिले जनवरी की बहती फ़िज़ाओं से
फिर हौले से कह दूं
उन बहती हवाओं से
जो गुजर गया
उनको बह जाने दे
बस!
भीनी-भीनी धूप की खुशियां
मेरे हिस्से में अब तो आने दे
जो सिमट गया
सिमट जाने दे
लेकिन
इतना हौंसला दे अब
जिनके लिए तरसती रही निगाहें
उन सब को मेरे हिस्से में डाल दे
इस नव वर्ष

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें