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एस्ट्रोलॉजी

15 अगस्त को नाग पंचमी पर करें कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय

August 08, 2018 06:46 PM

मदन गुप्ता सपाटू ज्योतिषविद्

 इस वर्ष 2 अगस्त को नागपंचमी राजस्थान व उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में मनाई जा चुकी है जबकि पंजाब] हरियाणा वहिमाचल आदि में इसे 15 अगस्त को मनाया जाएगा।सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाम पंचमी मनाईजाती है। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं..

हिन्दू धर्म में सर्पों के पूजन का खास महत्व है. दरअसल, सर्पों को भगवान शंकर का गहना माना जाता है और कहा जाता हैकि सर्पों की पूजा से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल देते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि हमारे पूर्वज सर्पों का रूपधारण कर धरती पर आते हैं. 

भारत की आजादी को बाद ऐसा दूसरा मौका है जब 15 अगस्त के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है।

इस बार 15 अगस्त के दिन नागपंचमी पर स्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। ज्योतिष में इस योग को बहुत ही शुभ योग माना गया है।

नागपंचमी पर पूजा का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर शाम को 4 बज कर 13 मिनट तक रहेगा।

पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त – 15 अगस्त को सुबह 05:55 से 8:31 तक

पंचमी तिथि प्रारंभ – 15 अगस्त को सुबह 03:27 बजे शुरू

पंचमी तिथि समाप्ति – 16 अगस्त को सुबह 01:51 बजे खत्म

ऐसे करें पूजन:

ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन नाग देवता की विधि पूर्वक पूजन करने से आर्थिक लाभ होता है और जीवन में कभीधन की कमी नहीं होती. ऐसे करें नागों के देवता की पूजा.

– सबसे पहले प्रात: घर की सफाई कर स्नान कर लें.
– इसके बाद प्रसाद के लिए सेवई और चावल बना लें.
– इसके बाद एक लकड़ी के तख्त पर नया कपड़ा बिछाकर उस पर नागदेवता की मूर्ति या तस्वीर रख दें.
– फिर जल, सुगंधित फूल, चंदन से अर्ध्य दें.
– नाग प्रतिमा का दूध, दही, घृ्त, मधु ओर शर्कर का पंचामृ्त बनाकर स्नान कराएं.
– प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल अर्पित करें.
– नये वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण और पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप दीप,नैवेद्ध, ऋतु फल, तांबूल चढ़ाएं.

ऐसे दूर करें कालसर्प दोष

अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष है तो नागपंचमी के दिन पूजा करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। कालसर्प दोष कोदूर करने के लिए यह दिन बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन नागों की पूजा और ऊं नम: शिवाय का जप करना फलदायीहोता है। इसके अलावा इस दिन पर रुद्राभिषेक करने से भी जातक की कुंडली से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। 

वैसे तो सावन के महीने का हर दिन भगवान भोलेशंकर का दिन होता है। पूरे महीने कृपानिधान शिव शंकर कृपा बरसाते हैंलेकिन इस दिन नागपंचमी का दिन बेहद ही खास है क्योंकि इस दिन भगवान आशुतोष का प्रिय आभूषण उनके गले काहार यानि नाग देवता की पूजा करके आप अपनी हर मनोकामना को पूरा कर सकते हैं। यही नहीं यदि आप कालसर्प दोषसे ग्रसित हैं तो इस दिन उसका भी निवारण किया जा सकता है। नाग की पूजा से महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं औरआपके जीवन की हर बाधाओं को दूर कर देते हैं।

वेद और पुराणों में नागों का उद्गम महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से माना गया है। शेषनाग की शय्या महर्षिकश्यप और उनकी पत्नी कद्रू वेद और पुराणों में नागों का उद्गम महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से माना गया है।भगवान विष्णु भी शेषनाग की शय्या पर लेटे हैं। इसलिए भी इनकी पूजा होती है।

हिन्दू धर्म में हर पशु- पक्षी को किसी न किसी देवी या देवता से जोड़ा गया है। भगवान शिव के गले में नाग होने से इसकीपूजा आदिकाल से की जा रही है। और इस पर्व को नाग पंचमी कहा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार श्रावण मास केशुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पूजन से मनोकामना पूर्ण होती है।

भारत के कई क्षेत्रों में व्रत भी रखे जाते हैं। इस पंचमी पर कई अंचलों में द्वारों पर भित्ति चित्रों की तरह विषधारी नागबनाए जाते हैं तथा उनका पूजन किया जाता है । नारद पुराण में भी सर्पदंश से बचाव हेतु नाग व्रत का विधान बताया गया है। ग्रामीण अंचलों में इस दिन दीवारों पर सात नागों के चित्र बना क उनका पूजन किया जाता है। एक रस्सी में 7 गाठें लगाकर सर्प की आकृति बनाई जाती है और विधिवत् निम्न मंत्र से पूजन किया जाता है।

! अनन्तम्ं वासुकि, शेषम, पदनाभम्, चकभ्बलम्,कींटकम, तक्षक्म् !!

इसके अतिरिक्त नवनाग स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है। चांदी का नाग बना कर मध्यमा में धारण किया जा सकताहै। शिवलिंग पर तांबे का सर्प अनुष्ठानपूर्वक चढ़ाया जा सकता है। तांबे के लोटे में नाग के जोड़े डाल कर ,बहते जल में प्रवाहित किये जा सकते हैं। इस दिन राहु यंत्र भी रखा जा सकता है। काल सर्प दोष निवारण यन्त्र स्थापित एवं धारणकिया जा सकता है। यह अवसर काल सर्प दोष की शान्ति पूजा करवाने के लिए सर्वथा उचित होता है ।

मंदिर में ऐसी पूजा का विशेष प्रावधान भी किया जाता है। किसी कारण सुयोग्य कर्मकांडी उपलब्ध न हो तो आप खुद भी ओम् रां राहुवे नम: मन्त्र का या ओम कुरूकुल्ये हुं पट स्वाहा 108 बार जाप करके शिव प्रतिमा पर दुग्ध , नाग नागिन की प्रतिमाएं आदि अर्पित कर सकते हैं। इस दिन काले तिल, काले उड़द,काली राई, नीला वस्त्र, जामुन, कालासाबुन, कच्चे कोयले, सिक्का-रांगा या लैड आदि दान अथवा चलते पानी में प्रवाहित करने से विशेष लाभ मिलता है।

ओम् रां राहवे नम: तथा ओम कें केतवे नम: का 108 बार जाप करें। पुष्य नक्षत्र या सोमवार को महादेव पर जल एवं दूधचढ़ाएं । महामृत्युंज्य मंत्र का जाप करें या कैसेट सुनें। ओम नम: शिवाय का जाप करें । मध्यमा में नाग की अंगूठी पहनें। । काल सर्प योग की अंगूठी, लाकेट, यंत्र , गोमेद या लहसुनिया की अंगूठी धारण की जा सकती है। 500 ग्राम कापारद शिवलिंग बनवा के रुद्राभिषेक कराएं। ओम नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमनु, ये अंतरिक्षे ये दिवितेभ्य: सर्पेभ्योनम: स्वाहा !! का 31000 मन्त्र जाप करें। मंगल या शनिवार हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर, चमेली का तेल, लालचोला या झंडा चढ़ाएं। महामृत्युंज्य मंत्र की एक माला करें या श्रावण मास में रुद्राभिषेक करवाएं।घर में मोरपंख रखें । ओम नमो वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। एकाक्षी नारियल पर चंदन से पूजन कर के 7 बार सिर से घुमा के प्रवाहित कर दें। नव नाग स्तोत्र का जाप करें। राहू यंत्र पास रखें या बहाएं। नाग पंचमी पर  वटवृक्ष की 108 प्रदक्षिणा करें।

 

मदन गुप्ता सपाटू ज्योतिषविद्, 196, सैक्टर 20 चंडीगढ़मो0- 98156 19620

 

 

 
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