मदन गुप्ता सपाटू ज्योतिर्विद्
आदि शक्ति की आराधना के लिए नवरात्रि के 9 दिन बहुत खास होते हैं। नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा होती है। नवरात्रि के समय जो लोग नवरात्रि व्रत और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं वे लोग अपने घरों में कलश स्थापना के साथ खेत्री भी बोते हैं। कलश स्थापना अौर जौ बोने के पीछे एक विश्वास है कि इससे आने वाला साल कैसा रहेगा इसका पता लग जाता है। जौ नौ दिनों में बड़ी तेजी से बढ़ते हैं और इसकी हरियाली परिवार में धन धन्य, सुख समृद्धि का प्रतीक है ताकि संपूर्ण वर्ष हमारा जीवन हरा भरा रहे।·
· हमारे धर्मग्रन्थों के अनुसार ऐसा माना जाता है जब सृष्टि की शुरूआत हुई थी तो पहली फसल जौ ही थी। यही कारण है जब भी किसी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है तो हवन में जौ का इस्तेमाल किया जाता है।
· ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि पर जो जौ उगाई जाती है वह भविष्य से संबंधित कुछ बातों के संकेत हमे प्राप्त होते हैं। साधारण तौर पर 2-3 दिनो में बोया गया जौ अंकुरित हो जाता है, लेकिन अगर यह न उगे तो भविष्य में आपके लिए अच्छे संकेत नहीं है यानि कि आपको कड़ी मेहनत करने के बाद ही फल की प्राप्ति होगी।
· अगर उगने वाला जौ का रंग नीचे से आधा पीला और ऊपर से आधा हरा हो इसका मतलब आने वाले साल का आधा समय ठीक रहेगा।
· अगर वहीं जौ का रंग नीचे से आधा हरा है और ऊपर से आधा पीला हो तो इसका अर्थ है कि आपका साल का शुरूआती समय अच्छे से बीतेगा, लेकिन बाद में आपको परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
· अगर आपके द्वारा बोया हुआ जौ सफेद या हरे रंग में उग रहा है तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है। अगर ऐसा होता है तो यह मान लिया जाता है कि पूजा सफल हो गयी। आने वाला पूरा साल खुशियों से भरा होगा
वैसे तो 2 या 3 दिन में ही जौ से अंकुर निकल आते हैं लेकिन खेत्री देर से निकले तो इसका अर्थ होता है कि देवी संकेत दे रही है कि आने वाले वर्ष में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। मेहनत करने पर उसका फल देर से प्राप्त होगा।
खेत्री का रंग नीचे से पीला अौर ऊपर से हरा हो तो इसका अर्थ होता है कि वर्ष के 6 महीने व्यक्ति के लिए ठीक नहीं है परंतु बाद में सब कुशल मंगल होगा।
खेत्री का रंग नीचे से हरा अौर ऊपर से पीला होने पर संकेत होता है कि वर्ष की शुरुआत अच्छी होगी लेकिन बाद में उलझन अौर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
खेत्री का श्वेत या हरे रंग में उगना बहुत ही शुभ संकेत होता है। ऐसा होने पर माना जाता है कि पूजा सफल हो गई है। आने वाला पूरा वर्ष खुशहाल अौर सुख-समृद्धि वाला होगा।
संकट से मुक्ति के उपाय
खेत्री के अशुभ संकेत होने पर मां दुर्गा से कष्टों को दूर करने के लिए प्रार्थना करें अौर दसवीं तिथि को नवग्रह के नाम से 108 बार हवन में आहुती दें। उसके पश्चात मां के बीज मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः
स्वाहा का 1008 बार जाप करते हुए हवन करें। हवन के बाद मां की आरती करें अौर हवन की भभूत से प्रतिदिन तिलक करें।
रोग की भविष्यवाणी होने पर प्रतिदिन नीचे लिखे मंत्र का जप करें।
यदि इन सबके लिए समय न हो तो नित्य कवच, कीलक, अर्गला और सिद्घ कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से भी नवग्रहों की कृपा बनी रहती है अौर व्यक्ति को कष्टों से मुक्ति मिलती है।
जौ जीवन में सुख और शांति का प्रतीक होते हैं क्योंकि देवियों के नौ रूपों में एक मां अन्नपूर्णा का रूप भी होता है। जौ की खेत्री का हरा-भरा होना इस बात का प्रतीक है कि जीवन भी हरा-भरा रहे और साथ ही देवी की कृपा भी बनी रहे।
विसर्जन करने से पहले माता जी के स्वरूप तथा जवारों का विधिपूर्वक पूजन करें। विधि विधान से पूजन किए जानें से अधिक मां दुर्गा भावों से पूजन किए जाने पर अधिक प्रसन्न होती हैं। अगर आप मंत्रों से अनजान हैं तो केवल पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे'
से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें। मां शक्ति का यह मंत्र समर्थ है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजन सामग्री लाएं और प्रेम भाव से पूजन करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अवश्य अर्पित करें।
पूजन समाप्ति के उपरांत अंजली में चावल एवं पुष्प लेकर जवारे का पूजन निम्न मंत्र के साथ करें-
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
अब खेतरी का विसर्जन कर दें, नवरात्र के नौ दिनों में खेत्री में समाई नवदुर्गा की शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।