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9 नवंबर, शुक्रवार , दोपहर 1.10 से लेकर 3.20 तक मनाएं भैया दूज

November 08, 2018 12:55 PM

मदन गुप्ता सपाटू,ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़

  हमारे देश में पारिवारिक एवं सामाजिक संबंधों को अत्यंत महत्वपूर्ण एवं स्थाई माना गया है। इसीलिए हमारे हर त्योहार -पर्व रोजाना कोई न कोई संदेश लेकर आते हैं। जहां होली व दिवाली समाज को बांधते हैं वहीं रक्षा बन्धन और भाई दूज परिवारों को एक सूत्र में बांधे रखते हैं। 

आधुनिक युग में भाई - बहन एक दूसरे की पूर्ण सुरक्षा का भी ख्याल रखें । नारी सम्मान हो। समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में कमी आएगी। भाई-बहन को स्नेह, प्रेम ,कर्तव्य एवं दायित्व में बांधने वाला राखी का पर्व जब भाई का मुंह मीठा करा के और कलाई पर धागा बांध कर मनाया जाता है तो रिश्तों की खुशबू सदा के लिए बनी रहती है और संबंधों की डोर में मिठास का एहसास आजीवन परिलक्षित होता रहता है। फिर इन संबंधों को ताजा करने का अवसर आता है भईया दूज पर । राखी पर बहन ,भाई के घर राखी बांधने जाती है और भैया दूज पर भाई ,बहन के घर तिलक करवाने जाता है। ये दोनों त्योहार ,भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं जो आधुनिक युग में और भी महत्वपूर्ण एवं आवश्यक हो गए हैं जब भाई और बहन, पैतृक संपत्ति जैसे विवादों या अन्य कारणों से अदालत के चककर काटते नजर आते हैं।

भाई दूज के शुभ मुहूर्त 

भाई दूज, द्वितीया, 9 नवंबर 2018, (शुक्रवार) 

भाई दूज तिलक का समय :13:10:02 से 15:20:30 तक 

अवधि :2 घंटे 10 मिनट 

भाई दूज (यम द्वितीया) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि जब अपराह्न (दिन का चौथा भाग) के समय आये तो उस दिन भाई दूज मनाई जाती है।

यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि लग जाती है तो भाई दूज अगले दिन मनाने का विधान है। इसके अलावा यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि नहीं आती है तो भी भाई दूज अगले दिन मनाई जानी चाहिए। ये तीनों मत अधिक प्रचलित और मान्य है।  

एक अन्य मत के अनुसार अगर कार्तिक शुक्ल पक्ष में जब मध्याह्न (दिन का तीसरा भाग) के समय प्रतिपदा तिथि शुरू हो तो भाई दूज मनाना चाहिए। हालांकि यह मत तर्क संगत नहीं बताया जाता है।  

भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को तिलक व भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा यम पूजन भी दोपहर के बाद किया जाना चाहिए। 

 भाई दूज या यम द्वितीया पर क्या करें ?

*सुविधानुसार ,गंगा या यमुना में स्नान कर सकते हैं। 

* भाई की दीर्घायु के लिए पूजा अर्चना प्रार्थना करें।

 *भाई ,बहन के यहां जाए और तिलक कराए। भ्राता श्री ,बहना के यहां ही भोजन करे। इस परंपरा से आपसी सौहार्द्र बढ़ता हैै। आपसी विवादों तथा वैमनस्य में कमी आती है। भाई कोई शगुन,आभूषण या गीफट बदले में दे। बहन भी भाई को मिठाई और एक खोपा देकर विदा करे।

 
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