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एस्ट्रोलॉजी

पर्वों से भरपूर नवंबर मास

November 15, 2018 05:31 PM

- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़

कार्तिक मास हमारे देश में बहुत महत्व रखता है। इसी महीनें में दिवाली, छठ पूजा, भष्म पंचकों का लगना, देवताओं का शयन के बाद उठना, तुलसी विवाह, वैकुण्ठ चतुर्दशी, कार्तिक पूर्णिमा पर गुरु नानक देव जी की जयंती आदि के उत्सवों का आना, दैनिक जीवन में बहुत परिवर्तन लाता है। इसी संदर्भ में 19 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी तथा 20 को तुलसी विवाह पड़ रहे हैं।

19 नवंबर: देव उठनी एकादशी
ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी होती है, जबभगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में 4 माह के शयन के लिए चले जाते हैं। इन चार महीनों दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।
कार्तिक शुक्ल एकादशी वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी होती है, इस दिन चातुर्मास का समापन होता है और भगवान विष्णु चार महीने के विश्राम के बाद पुनः धरती का कार्यभार संभालने के लिए जाग उठते हैं। इस दिन से चार महीने से बंद विवाह पुनः प्रारंभ हो जाते हैं। इस एकादशी को देव उठनी एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। इस एकादशी के व्रत को करने का अपना महत्व है। इस दिन सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए कई तरह के उपाय भी किए जाते हैं। क्योंकि भगवान विष्णु अपनी शैया से जागते ही भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए आतुर रहते हैं।
देवउठनी एकादशी के दिन से शादियों का शुभारंभ हो जाता है। सबसे पहले तुलसी मां की पूजाहोती है। देवउठनी एकादशी के दिन धूमधाम से तुलसी विवाह का आयोजन होता है। तुलसी जी को विष्णु प्रिया भी कहा जाता है, इसलिए देव जब उठते हैं तो हरिवल्लभा तुलसी की प्रार्थना ही सुनते हैं।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से की जाती है। अगर किसी व्यक्ति को कन्या नहीं है और वह जीवन में कन्या दान का सुख प्राप्त करना चाहता है तो वह तुलसी विवाह कर प्राप्त कर सकता है।

देवउठनी एकादशी पारण मुहूर्त: 20 नवंबर कोसुबह 06:47:17 से 08:55:00 तक
अवधि: 2 घंटे 7 मिनट
देव उठनी एकादशी का व्रत समस्त प्रकार के पाप, शोक, दुख, संकटों का नाश करने वालाहोता है। इसलिए आप वर्ष की कोई एकादशी पर व्रत नहीं रखते हों, लेकिन इस एकादशी केदिन व्रत जरूर रखें। इस दिन सूर्योदय पूर्व जागकर स्नान कर भगवान विष्णु का विधिवतपूजन करें। एकादशी व्रत का संकल्प लें और एकादशी की व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें।
देव उठनी एकादशी के दिन अपने पूजा स्थान में एक मिट्टी के कलश में मिश्री भरकर उस पर सफेद वस्त्र बांधें और उपर एक श्रीफल रखें। कलश पर स्वस्तिक बनाएं और इसका विधिवतपूजन कर किसी ब्राह्मण को दान करें। इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही हो। कई प्रयासों के बाद भी विवाह की बात नहीं बन पारही हो, वे युवक-युवतियां देवउठनी एकादशी के दिन प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में जाग जाएं। जब आकाश में तारे हों, तभी स्नान करें और लक्ष्मी-विष्णु की पूजा कर विष्णुसहस्रनाम के 7 पाठ करें। महालक्ष्मी और विष्णु को मिश्री का भोग लगाकर अपनी मनोकामना कहें। शीघ्र विवाह का मार्ग प्रशस्त होगा।
जिन दंपतियों का विवाह कष्टपूर्ण चल रहा हो। पति-पत्नी के संबंधों कटुता हो, वे देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का मंत्र ओम् कृं कृष्णाय नमः मंत्र की एक माला जाप करें। श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। वैवाहिक जीवन में शांति आएगी और पति-पत्नी केसंबंध मधुर बनेंगे।
आर्थिक संकटों और कर्ज से मुक्ति के लिए एकादशी का व्रत करें। शाम के समय पूजा स्थान में लाल रंग के उनी आसान पर बैठकर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की एक माला जाप करें। भगवान विष्णु को हलवे का नैवेद्य लगाएं और तुलसी में प्रतिदिन शाम के समय दीपक लगाना प्रारंभ करें।
एकादशी के दिन से प्रारंभ करके लगातार 21 दिन पीपल में कच्चा दूध और पानी मिश्रित करके चढ़ाना प्रारंभ करें। पीपल के वृक्ष की जड़ से थोड़ी सी गीली मिट्टी लेकर मस्तक औरनाभि पर लगाएं। रोग मुक्ति होने लगेगी।
जीवन में लगातार कोई न कोई परेशानी बनी हुई हो। बेवजह के संकट आ रहे हों तो एकादशीके दिन शाम के समय तुलसी विवाह संपन्न कराएं। किसी कन्या को भोजन करवाकर उसेवस्त्र, श्रंृगार का सामान भेंट दें।
प्रेम, आकर्षण और सम्मोहन प्राप्ति के लिए देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण औरराधाजी का श्रृंगार करें, उन्हें वस्त्र, मुकुट पहनाएं और माखन का भोग लगाएं। इसके बादत्रेलोक्य मोहनाय नमः मंत्र की 21 माला जाप करें, आपके व्यक्तित्व में एक अद्भुत आकर्षण पैदा हो जाएगा।
यह एकादशी सुख, सौभाग्य और उत्तम संतान प्रदान करने वाली एकादशी भी कही गई है।इसलिए संभव हो तो पति-पत्नी दोनों जोड़े से इस व्रत को करें और फिर देखें उनके जीवन मेंकितनी तेजी से परिवर्तन आता है।
इस एकादशी के दिन तुलसी विवाह संपन्न कराने से परिवार में कोई संकट नहीं रहता, समस्तसुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।

 
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