चंडीगढ़, अनुराधा कपूर
कोरोना काल में जब लाकडाउन के कारण सब तरफ बंदिशें हैं। धार्मिक स्थलों पर भी सीमित लोगों के एकत्रित होने का नियम लागू हैं। केवल दस भक्तों को ही प्रवेश की अनुमति है इस समय एक तरफ जहां, भगवान "श्री कृष्ण जी" के जन्मोत्सव की धूम मची है। वर्षों से भक्त इस दिन उपवास करके मंदिर जा कर प्रभु को झूला झुलाते थे। मंदिरों मे भारी भीड़ उमड़ती थी। हर तरफ एक आध्यात्मिक आनंद अपने चरम पर होता था। जीवन में आध्यात्मिक रस का पान कैसे किया जाता है, इसका जीवंत प्रमाण "नंदोत्सव" है, लेकिन ?.
इस बार कोरोना के कारण मंदिर सूने होंगे, हर वर्ष लगने वाले मेले का आनंद बच्चे- बड़े नहीं उठा सकेंगे। झांकियां नहीं होंगी। कृष्ण-कीर्तन का मधुर पान से वंचित रहना होगा।
श्रीकृष्ण भक्तों की इस व्यथा का बखान, रूंधे गले, उदास आंखों व द्रवित हृदय से बयान किया, सैक्टर-28 स्थित श्री शिव खेड़ा मंदिर मे पुजारी पंडित सुभाष चंद शर्मा ने, जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मंदिर मे प्रभु को नए वस्त्रों से सुशोभित करते हुए कहा कि उनके पास लगातार लोगों के संदेश आ रहे हैं कि इस बार वे किस प्रकार मंदिर में झूला झुलाने की पुरानी पंरपरा का पालन कर पाएंगे।इस पर पंडित जी ने कहा कि राष्ट्रीय- धर्म का इस समय पालन करना आवश्यक है, जो यही कहता है कि शारीरक और सामाजिक दूरी बनाए रखें;