खालिस्तान, आतंकवाद, भिंडरावाले के समर्थकों और देशद्रोहियों से दूर रहे किसान, आंदोलन किसानों का संविधानिक अधिकार:- शिव सेना हिन्दोस्तान
दिल्ली/बरनाला, ब्यूरो/अखिलेश बंसल/करन अवतार।
कृषि बिल रद्द कराने को लेकर पंजाब से दिल्ली रवाना हुए किसानों के आंदोलन में आतंकियों व खालिस्तान समर्थकों की घुसपैठ हो चुकी है। जो किसानों की आड़ में कभी भी देश में आतंक फैलाने की फिराक में हैं। जिसके संकेत सिंघु बैरियर से वायरल हुई वीडियो से मिलें हैं। जिसको लेकर शिव सेना हिन्दोस्तान के प्रमुख पवन गुप्ता ने किसानों से अपील की है कि कृषि को बचाने के लिए आन्दोलन करना उनका संविधानिक अधिकार है, उसके साथ साथ वे खालिस्तान, आतंकवाद, भिंडरावाले के समर्थकों और देशद्रोहियों से दूर रहें। उधर, किसान आंदोलन में असमाजिक और अलगावादी ताकतों के शामिल होने की आशंका चलते खुफिया एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं
वायरल वीडियो में मिले यह संकेत
दिल्ली जा रहे किसानों को सिंघु बार्डर के पास रोकने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय राज मार्ग को बीच में से तोड़ बड़ा खड्डा बना दिया गया था। वहां पहुंचे हजारों किसानों के बीच अज्ञात ऐसे संदिग्ध लोगों के चेहरे देखने को मिले जिनका आतंकी संगठनों से संबंध होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। उन संदिग्ध लोगों में कुछ युवक बिना पगड़ी पहने भी थे। जिनका किसानी के साथ दूर का भी वास्ता दिखाई नहीं दे रहा था। वहां मौजूद आतंकी लोगों में एक-दो की आवाजें साफ-साफ सुनाई दी जिसमें कहा जा रहा था कि ( ऐथे ही जम्मांगे, ऐथों ही लंघांगे, दिल्ली वी जावांगे, रोक लेओ जीहने रोकना, ............ जदों इंदिरा गांधी मार सकदे आं तां... बोले सो निहाल-सत श्री अकाल ............)। यह आवाजें किसी प्रदर्शनकारी किसान द्वारा मोबाईल फोन पर बनाई गई वीडियो में कैद हो गईं। जिसने तुरंत वायरल कर दिया।
हरियाणा सरकार ने भी जताई आतंकियों के घुसपैठ की आशंका
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आशंका जताई है कि किसानों में कुछ खालिस्तान समर्थक, भिंडरांवाले और आतंकवाद समर्थक लोग किसानों के बीच में घुस गए हैं जिनसे किसानों को पूरी तरह से खबरदार रहना होगा। खट्टर ने यह भी कहा है कि प्रदर्शन कर रहे लोगों में किसान कम नजर आ रहे हैं राजनीति से प्रेरित तत्व और आतंकवादी संगठनों के कार्यकर्ता ज्यादा नजर आने लगे हैं।
बरनाला में किसान आंदोलन के दौरान गूंजे थे खालिस्तान के नारे
चार दिन पहले बरनाला के रेलवे स्टेशन पर शिरोमणी अकाली दल (अमृतसर) के कुछ कार्यकर्ता झंडे लेकर पहुंचे थे, जहां किसान धरना लगाए बैठे थे, उनके बीच में से गुजर रेलवे ट्रैक पर चले गए थे, जहां उन्होंने रेलवे यातायात को बाधित करने की कोशिश की थी। वहां प्रदर्शन करते शिअद के कार्यकताओं ने खालिस्तान के पक्ष में नारेबाजी की थी। ऐन मौके पर पुलिस भी पहुंच गई थी। जिसने रेलवे ट्रैक पर खालिस्तानी समर्थन में नारेबाजी कर रहे लोगों को खदेड़ दिया था।
संयम व सावधानी से काम लेना होगा किसानों को
देश के किसी भी राज्य के किसानों को देश की राजधानी में जाकर रोष प्रदर्शन करने का संविधानिक अधिकार है। जिस प्रकार से पंजाब सहित अन्य प्रदेशों के किसानों को देश की राजधानी में जाने से रोका जा रहा है वह देश के संविधान का उल्लंघन और लोकतंत्र का हनन है। किसी भी सरकार द्वारा देश के किसानों को तो क्या देश की राजधानी में शांतमयी प्रदर्शन करने वाले किसी भी वर्ग को नहीं रोका जा सकता। देश के प्रधानमंत्री नरिंदर मोदी को चाहिए कि वे किसानों की शंकाओं का 3 दिसंबर 2020 को दिल्ली में होने वाली बैठक में सद्भावना पूर्ण निवारण करें। इधर किसान संगठनों को भी संयम का परिचय देते हुए अपने रोष प्रदर्शन को शांतमय रखना होगा और केंद्र सरकार के साथ सद्भावनापूर्ण बात करनी होगी। यदि आतंकी संगठनों की गतिविधियां पूरी तरह से दाखिल हो गई तो स्थिति खतरनाक मोड़ पर आ जाएगी।
शिव सेना प्रमुख ने की किसानों से अपील
शिव सेना (हिंदोस्तान) के राष्ट्रीय प्रमुख पवन गुप्ता ने किसानों से अपील की है कि किसान संगठनों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि उनके आंदोलन का लाभ सीधे-सीधे खालिस्तानी आतंकवादी समर्थक और जरनैल सिंह भिंडरावाले के समर्थक उठाने लगे हैं। जो उनके आंदोलन को शक के दायरे में खड़ा ही नहीं कर देंगे बल्कि आतंकी आंदोलन में बदलने में कामयाब हो जाएंगे। जिसका पूरे देश को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। अगर किसान अपने लक्ष्य की आपूर्ति चाहते हैं तो उन्हें खालिस्तानी पक्ष व देशद्रोहियों पर पैनी नजर रखनी होगी।