चंडीगढ, फेस2न्यूज:
वीएलएसआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, चितकारा यूनिवर्सिटी ने 'सेमीकंडक्टर लेबोरेटरी' (एससीएल) मोहाली, पंजाब, के सहयोग से कम वोल्टेज, कम नोइस वाले न्यूरल एम्पलीफायर सिलिकॉन चिप को डिजाइन किया है। यह खोज विभिन्न क्रोनिक बीमारियों जैसे पार्किंसन, रीढ़ की हड्डी में चोट, मिर्गी और लकवा आदि के डायगोनासिस में बहुत ही मददगार साबित होगा। चितकारा यूनिवर्सिटी परिसर में आयोजित किए गए एक समारोह में इसे लांच किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ मधु चितकारा ने चितकारा यूनिवर्सिटी की शोध और नवाचार के कारण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता को दोहराया ताकि इसका छात्रों को अधिकतम लाभ दिया जा सके जो कि कल के राष्ट्र निर्माता हैं। डॉक्टर अर्चना मन्त्री ने यूनिवर्सिटी की समाज को लाभ पहुंचाने वाली खोज के लिए प्रसन्नात व्यक्त की। उन्होंने डाक्टर रजनीश शर्मा (लीड-वीएलएसआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) को बधाई दी, जिनके मार्गदर्शन में डॉक्टर कुलभूषण शर्मा न्यूरल एम्पलीफायर आईसी चिप डिजाइन को इस चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा कर सके हैं।
डाक्टर एचएस जटाना (ग्रुप हेड- डिजाइन एंड प्रोसेस ग्रुप, एससीएल) ने चितकारा यूनिवर्सिटी की पूरी टीम को बधाई दी और इस प्रकार के चुनौतीपूर्ण शोध कार्यों के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा संकाय सदस्यों और छात्रों को प्रदान किए गए समर्थन की सराहना की। उन्होंने उद्योग जगत में चिप के संभावित उपयोग के बारे में बताया।
डिज़ाइन किए गए न्यूरल एम्पलीफायर सिलिकॉन चिप का उपयोग शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए न्यूरल प्रोस्थेटिक्स सिस्टम विकसित करने में किया जा सकता है। कुलभूषण शर्मा ने इस काम को चितकारा यूनिवर्सिटी के सीनियर प्रोफेसर डाक्टर रजनीश शर्मा व एससीएल की टीम जिसकी अगुवाई एचएस जटाना ने की उसके साथ मिलकर किया। न्यूरल एम्पलीफायर सिलिकॉन चिप के लेआउट और पोस्ट-लेआउट सिमुलेशन का काम कुलभूषण शर्मा द्वारा एससीएल के वरिष्ठ वैज्ञानिक राहुल कुमार त्रिपाठी के अवलोकन के तहत कुछ महीनों के प्रशिक्षण के दौरान किया गया।
यह कार्य शिक्षा और उद्योग के सहयोग का उदाहरण है जो न केवल क्लीनिक्स और रोगियों के लिए बल्कि दुनिया के सर्किट डिजाइन कम्यूनिटी के लिए भी उपयोगी जो कि बायो पोटेंशियल सिगनल रिकार्डिंग में काम कर रहे हैं।