चंडीगढ, संजय मिश्रा:
बीते 67 दिनों से चल रहा किसानों का शांतिपूर्ण आंदोलन को तोड़ने के लिए केंद्र सरकार के सभी हथकंडे फेल हो गए, तो 26 जनवरी के ट्रेक्टर परेड में अपने आदमियों का घुसपैठ कराकर लालकिले में हुड़दंग जैसी घटना को अंजाम देकर सरकार भले ही कुछ पल के लिए अपने मंसूबे में कामयाब दिख रही हो, जिस बहाने करीब सभी बड़े किसान नेताओं पर 37 प्राथमिकी दर्ज कराकर, गाजीपुर बोर्डर पर बिजली एवं पानी की सप्लाई काटकर, पेट्रोल पंप मालिकों को किसानों के ट्रेक्टरों में डीजल डालने से मना कर, भाजपा सीएम द्वारा 17 जिले में इंटरनेट बंद कराकर इस किसान आंदोलन को जितना दबाने की कोशिश की ये उतना ही और मजबूत होता जा रहा है।
सीधी सी बात समझने लायक है कि 60 दिन से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसान 26 जनवरी को हिंसक क्यों होंगे? इस हिंसक गतिविधी से किसानों को क्या फायदा होना था, बल्कि उल्टे उसका नुकसान होना था, हिंसक होने का फायदा तो सरकार को होना था, जो उसने उठाया भी किसानों पर प्राथमिकी दर्ज करके।
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन खत्म होने की कगार पर था, लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन में नई जान फूंक दी। राकेश टिकैत के आंसुओं ने किसानों को फिर से एकजुट कर दिया है और आंदोलन को नई ऊर्जा मिल गई है। 28 जनवरी को किसान नेता राकेश टिकैत के आंसुओं के सैलाब के बाद किसान आंदोलन ने एक बार फिर से रफ्तार पकड़ना शुरु कर दिया है। पश्चिमी यूपी और हरियाणा के अलग-अलग इलाकों से हजारों किसान गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचना शुरू हो गए हैं।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जीआईसी के मैदान में हुई महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने किसानों से शनिवार को दिल्ली कूच करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गाजीपुर बॉर्डर पर दिया जा रहा धरना जारी रहेगा। किसान धरने में शामिल होकर आंदोलन को मजबूती देंगे। नरेश टिकैत ने कहा कि भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर के हम शुक्रगुजार हैं जिन्होंने इस आंदोलन को संजीवनी दे दी।
ज्ञात हो कि 28 जनवरी को लोनी गाजियाबाद के भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने अपने समर्थकों के साथ गाजीपुर बोर्डर पर किसानों को खदेड़ने कि कोशिश की, यही नहीं गुर्जर ने गृह मंत्रालय को इन किसानों को देशद्रोही बताते हुए उनको गोली मारने कि बात कही थी।
किसान आंदोलन और सुप्रीम कोर्ट:
किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रवैया भी ढुलमुल जैसा रहा है और उन्होंने भी तीनों कृषि कानूनों को निरस्त नहीं करके सिर्फ कुछ दिनों के लिए स्थगित किया है, कोशिश है कि सरकार भी नाराज ना हो और आंदोलन विरोधी छवि भी ना बने। हो सकता है कि कुछ जज ऐसे भी होंगे जो सरकार को नाराज नहीं करना चाहते हो क्योंकि रिटायरमेंट के बाद उनको भी राज्यसभा सीट या कोई मलाईदार ओहदा चाहिए, जेडप्लस सिक्योरिटी चाहिए।
किसान आंदोलन और भी मजबूती से बढ़ेगा:
किसान नेता राकेश टिकैत ने जोर देकर कहा है कि, सरकार के कुचक्र के कारण आंदोलन और तेज होगा और ये और भी मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, कि केंद्र सरकार द्वारा कुछ पूंजीपतियों के इशारे पर किसानों की पगड़ी उछाली जा रही है, आम आदमी पार्टी किसानों के साथ है और किसानों को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के किसान स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष व डीयू के दिव्यांग छात्र अरविंद यादव ने किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। अरविंद व्हील चेयर पर किसान आंदोलन में गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे हैं और तीनों किसान कानून वापसी की मांग को लेकर राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा है।
इस बीच समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी किसानों के समर्थन में उतरने का एलान किया था। इसके लिए उन्होंने बापू की पुण्यतिथि यानी 30 जनवरी का दिन चुना। इस दिन से अन्ना हजारे आमरण अनशन शुरू करने वाले थे। सरकार अन्ना को मनाने की कोशिश कर रही थी और कामयाब हो गई।