ज्वालामुखी, (विजयेन्दर शर्मा) भाजपा सरकार का जनमंच मात्र फिजूलखर्ची है। जो जनसमस्याएं उजागर हो रही हैं उनका स्थानीय प्रशासन स्तर पर निपटारा आसानी से किया जा सकता है।लाखों रुपए खर्च करके चार-पांच दर्जन समस्याओं का निपटारा मात्र फिजूलखर्ची है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता दीपक शर्मा ने कहा कि जिस तरह की समस्याओं को इन जन मंचों में उठाया जा रहा है वह स्थानीय प्रशासन द्वारा सुलझाई जानी चाहिए। जन मंचों में जिस तरह जनता का आक्रोश सामने आ रहा है उससे साफ जाहिर होता है कि जनता बर्तमान भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली से आक्रोशित है।जनता का यह आक्रोश अब खुल कर सामने आ रहा है।दीपक शर्मा ने कहा कि जनता अब भाजपा सरकार के इस जनमंच को सरकार के खिलाफ खड़ा हो कर झंडमन्च बनाने की ओर अग्रसर है।इस बार के सरकार के जन् मंचों में जिस तरह जनता ने खुल कर सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाई है उससे साफ है कि जनता सरकार की जन विरोधी नीतियों से दुखी है और सरकार को आईना दिखाने के मूड में है।कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जनता अपनी समस्याओं को लेकर दुःखी है जिसके चलते जनमंच में आवाज़ उठा रही है।लेकिन जो पीड़ित व्यक्ति आवाज़ उठा रहा है उसकी आवाज़ को दबाया जा रहा है।यह अनुचित है।ग्रामीण जनता की भाषा में अगर आक्रोश के चलते कोई बात हुई भी है तो सरकार को सुनने और सहने की शक्ति होनी चाहिए। इस तरह पीड़ितों पर मामले दर्ज कर दबाब बनाना गलत है।यह सहन नहीं किया जाएगा।दीपक शर्मा ने कहा कि इस तरह के आक्रोश से सरकार को समझना चाहिए कि जनता कितनी दुखी है और जनसमस्याओं का कितना अम्बार है।कांग्रेस नेता ने कहा कि आने वाले समय में सरकार को जनता के खुले आक्रोश का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि यह सरकार जनसमस्याओं के प्रति गम्भीर नहीं है।आमजन बिजली-पानी-परिवहन-शिक्षा-स्वास्थ्य-राजस्व मामलों सहित अनेकों समस्याओं से पीड़ित है ।आसमान छूती महंगाई से जनता त्रस्त है लेकिन सरकार की प्राथमिकताओं में यह सब समस्याएं नहीं हैं।सरकार की प्राथमिकता में मोदी गुणगान-वोट की राजनीति है।अतः जनता का यह आक्रोश स्वभाविक और जायज़ है।कांग्रेस नेता के कहा कि मीडिया के अनुसार पूरे प्रदेश के जन मंचों में मात्र 616 शिकायतें आईं जबकि हर जनमंच पर औसतन पांच लाख से ज़्यादा ही खर्च होता है।ऐसे में सरकार ने 50 लाख रुपए खर्च करके 616 समस्याएं निपटाई जबकि यह समस्याएं स्थानीय प्रशासन द्वारा सुलझाई जानी चाहिए इसके लिए इतने बड़े तामझाम की कोई आवश्यकता नहीं है।कांग्रेस नेता ने कहा कि जनमंच भाजपा सरकार का कोई अनूठा कार्यक्रम नहीं है मगर फ़िज़ूलख़र्ची का नायाब नमूना ज़रूर है। अतः प्रदेश की संकटपूर्ण वित्तीय स्थिति को देखते हुए इसे सरकार को तुरन्त बन्द कर देना चाहिए।