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पंचकूला सीएससी संचालकों को नहीं मिल रही है समुचित विभागीय सहायता, राम भरोसे चल रहा है काम

April 08, 2021 08:13 PM

चंडीगढ/पंचकूला, फेस2न्यूज ब्यूरो:
सीएससी का मतलब है कॉमन सर्विस सेंटर। यह डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत एक योजना है जिसे भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा चलाया गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जहां विभिन्न क्षेत्रों में नागरिकों को “ई गवर्नेंस सेवाएं “उनके गांवों में या वार्डों में ही प्रदान किए जाने का है वहीं, इलाके के निवासियों को स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराना है।
सीएससी ई गवर्नेंस सर्विसेस इंडिया लिमिटेड इस योजना की नोडल एजेंसी है जिन्होंने पूरे देश में सीएससी केंद्र खोले और लाखों ग्रामीण एवं शहरी युवाओं को रोजगार दिया। प्रत्येक जिले ने सीएससी डीएम की नियुक्ति की गई है जिनका मुख्य काम जिले में सीएससी केंद्र खोलना एवं उनके संचालन मे उनकी सभी विभागीय मदद पहुंचाना।
लेकिन बीते डेढ़ दो सालों से पंचकूला जिले के सीएससी ऑपरेटर को विभागीय काम करने में जो दिक्कतें आ रही हैं उनका त्वरित एवम समुचित समाधान नहीं मिल पा रहा है और ना ही समय पर उस कार्य का भुगतान हो पा रहा है।
ऑपरेटर बताते है कि सीएससी डीएम को भी जब कोई नया काम शुरू करना होता है तो ग्रुप में प्रकट होते हैं, अपनी बात रखते है और फिर गायब हो जाते है। जो ऑपरेटर्स ने ही आपस में बनाया है। सीएससी ऑपरेटर आपस में ही पूछ—पूछ कर कोई समस्या का निदान निकल सकता है तो करते हैं अन्यथा थक हारकर बैठ जाते हैं। अगर कोई सीएससी ऑपरेटर किसी समस्या को लेकर ज्यादा बोलते है तो सीएससी डीएम उसका हिस्ट्री निकालकर बैठ जाता है कि आपने ये नहीं किया आपने वो नही किया लेकिन समस्या जो ग्रुप में रखी जाती है उस बारे में वे कभी भी बात नहीं करते और ना ही समाधान देते हैं।
जबकि हकीकत तो ये है कि सीएससी ऑपरेटर किसी भी विभाग का पार्टनर है विभागीय योजनाओं को धरातल पर आमजन तक पहुंचाने के लिए। ये सीएससी ऑपरेटर पार्टनर के रूप में कमीशन पर काम करते है, ये कोई वेतनभोगी सरकारी नौकर नहीं है।
इस मौके पर कई सीएससी ऑपरेटर जिले के पुराने डीएम मनीष एवं मनदीप को याद करते है जो सीएससी ऑपरेटर की हर समस्या को संबंधित विभाग के अधिकारियों तक पहुंचाते थे और उनसे मिला हुआ समाधान सीएससी ऑपरेटर को ग्रुप के माध्यम से पहुंचाते थे, यही नहीं, सीएससी ऑपरेटर को विभाग से मिलने वाले भुगतान की समस्या को भी संबंधित विभाग के अधिकारियों के समक्ष उठाते थे। अगर किसी सीएससी ऑपरेटर ने डीएम को फोन किया तो रात है या दिन सुबह है या शाम कोई मतलब नहीं वो प्रत्येक सीएससी ऑपरेटर का फोन उठाते थे अगर, किसी कारण बात नही हो पाई तो डीएम खुद सीएससी ऑपरेटर को कॉल बैक करके हाल चाल और समस्या पूछते थे। लेकिन मनीष और मनदीप दोनो डीएम के जाने के बाद अब ऐसा कुछ नही होता है। सुनने में तो यहां तक आ रहा है कि सीएससी ऑपरेटर की समस्या को अधिकारियों के सामने बार—बार रखने से ही अधिकारियों को दिक्कत हो गई और उन अधिकारियों ने अपने दिक्कत का समाधान करते हुए सीएससी डीएम की ही उच्चाधिकारियों से शिकायत करके उसे ही पद से हटा दिया।
अब आलम ये है कि वर्तमान सीएससी डीएम सीएससी ऑपरेटर की समस्या विभाग के अधिकारियों तक लाता ही नहीं तो अधिकारी भी खुश है, मतलब कि समस्या का समाधान नहीं करके उस समस्या को उजागर करने वाले और सामने रखने वालो का ही समाधान कर दिया।
आजकल हरियाणा परिवार पहचान पत्र बनाने एवम बनाए गए पहचान पत्र में संशोधन का काम बहुत जोर शोर से चल रहा है जिसका नोडल एजेंसी है सी आई आर डी यानी सिटीजन इन्फॉर्मेशन रिसोर्स डिपार्टमेंट। परिवार पहचान पत्र वैसे तो साल 2018 से ही बन रहे है कभी किसी पोर्टल के जरिए तो कभी परिवार समृद्धि पोर्टल के जरिए, लेकिन किसी भी काम का पैसा सीएससी ऑपरेटर को नहीं मिला है। वर्तमान के नोडल एजेंसी कहती है हमने अभी 2020—21 में बनाए गए फैमिली आईडी का भुगतान कर दिया है, ऑपरेटर कहते हैं मैने 3000 बनाए है उस हिसाब से पैसे नहीं आए, विभाग के पास गिनती का कोई हिसाब नहीं है।
कई अन्य समस्याएं भी है फैमिली आईडी पर काम को लेकर, जैसे गलत मेंबर को डिलीट करने का ऑप्शन पहले था, अभी हटा दिया है, क्यों? पता नही। पंजाब या चंडीगढ़ के बशिंदे जो हरियाणा सरकार में नौकरी करते हैं, उनके लिए अस्थाई फैमिली आईडी का प्रावधान था, लेकिन अब हटा दिया गया, क्यों ? जवाब पता नहीं। जीरकपुर के परिवार जिनके बच्चे पंचकूला में पढ़ते हैं उनका टेंपरोरी फैमिली आईडी कैसे बनेगा? तो जवाब है, पता नही।
सीएससी ऑपरेटर ने जब एक बार 5 मेंबरों की फैमिली आईडी बना दी और उस पर फैमिली हेड के हस्ताक्षर लेकर उसकी स्कैन कॉपी पोर्टल पर अपलोड कर दी, फिर बाद में उसमे 6 मेंबर कैसे हो गए? तो, जवाब पता नही। डिलीट ऑप्शन को एक्टिव कर दे ताकि ऐसे फैमिली आईडी को सही किया जा सके तो कहते है इसका दुरुपयोग होगा, लेकिन 5 सही मेंबर की जगह 6 मेंबर होने से उस आईडी का सदुपयोग कैसे होगा? तो पता नही। किसी का जन्म तिथि गलत लिखा चला गया वो अब सही हो नही सकती। किसी फैमिली आईडी में एक ही मेंबर है जिसे सेल्फ के बजाय बेटा लिखा हुआ है जो अब संशोधन नही हो रहा है। एक सीएससी ऑपरेटर ने ग्रुप में लिखा, एक साल हो गए मेरी फसल मेरा ब्योरा का पोर्टल पर एंट्री किया था, लेकिन उसके पैसे आजतक नहीं मिले, कब मिलेंगे ? तो कोई जवाब नहीं।
जो भी हो समस्याएं तो काफी है लेकिन उसका समाधान नाकाफी है, भुगतना जनता को पड़ता है। किसी के पेंशन अप्लाई नहीं हो रहे तो किसी के कोई प्रमाणपत्र अप्लाई नहीं हों रहे हैं। और आम जनता के गुस्से का शिकार कौन बन रहा? सीएससी ऑपरेटर।
सी आई आर डी पंचकूला के एक अधिकारी मनोज कुमार ने फेस2न्यूज को बताया कि:
टीम को इन सभी समस्याओं के बारे में अवगत करा दिया गया है परन्तु सिर्फ टेक्निकल टीम उन समस्याओं को सीधे ठीक नहीं कर सकती। कुछ भी Change करने के लिए या कुछ नया Procedure बनाने से पहले, Administrative Permission भी लेनी होती है। और यह सब निर्णय लेने के लिए भी काफी कुछ Set of Rules प्लान करना होता है कि इसके क्या benefits होंगे और क्या Misues हो सकते हैं। उसके बाद ही कोई proper procedure बना कर ही वो आप्शन दी जा सकती है। State टीम अभी इनकम वेरिफिकेशन वाले Module पर Focus कर रही है। साथ ही साथ अन्य समस्याओं के बारे में भी काम चल रहा है और Correction Module में options provide किये जा रहे हैं।
लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा भी सरकारी विभाग है, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जिनके अधिकारी सीएससी ऑपरेटर की समस्याओं को सुनते हैं और तुरंत समाधान देते है ये विभाग विधवा पेंशन, बुढ़ापा पेंशन, दिव्यांग पेंशन देखता है और कोई समस्या ग्रुप में रखे जाने पर कॉल बैक करके भी सीएससी ऑपरेटर को उचित मार्गदर्शन करता है, जिस कारण ये साधुवाद एवं बधाई के पात्र हैं। 
काश अन्य विभागों में भी ऐसे ही अधिकारी होते।

 
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