नई दिल्ली, फेस2न्यूज:
सीबीआई ने 150 करोड़ रु. (लगभग) की धनराशि के बैंक धोखाधड़ी के तीन अलग अलग मामलो में निजी कंपनियों एवं उनके निदेशकों, वित्तीय सलाहकारों, कम्पनी समूह के अध्यक्ष, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन महाप्रबंधक और डी जी एम आदि के विरुद्ध सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश की अदालत, मुम्बई में आरोप पत्र दायर किया।
सीबीआई ने 149.89 करोड़ रु.(लगभग) की बैंक धोखाधड़ी के आरोप पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से प्राप्त शिकायत के आधार पर निजी कंपनियों तथा उनसे सम्बंधित निदेशकों और लोकसेवकों के विरुद्ध 03 अलग अलग मामलें दर्ज किए थे। यह आरोप था कि निजी कंपनियों के ऋणियों ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के लोक सेवकों के साथ मिलीभगत में कार्यवाही, आंकलन, मूल्यांकन, आंतरिक निर्धारण, सक्षम प्राधिकारी से नियमित मंजूरी तथा बंधक रखे बिना साख पत्र (एल सी) जारी कर उक्त धोखाधड़ी की।
पहला मामला 29 जून 2019 को दर्ज किया गया। 56.98 करोड़ रु. (लगभग) की बैंक धोखाधड़ी के आरोप पर निजी कंपनियों तथा इसके निदेशकों, वित्तीय सलाहकारों, तत्कालीन डी जी एम/क्षेत्रीय प्रमुख (यूनियन बैंक ऑफ इंडिया), तत्कालीन जी एम/मण्डल प्रमुख (यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) आदि सहित 13 आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर हुआ। दूसरा मामला भी दिनाँक 29.06.2019 को दर्ज हुआ। इस मामलें में, 50 करोड़ रु.(लगभग) की बैंक धोखाधड़ी के आरोप पर निजी कंपनियों तथा इसके निदेशकों, वित्तीय सलाहकारों, कम्पनी समूह के अध्यक्ष, तत्कालीन डी जी एम/क्षेत्रीय प्रमुख (यूनियन बैंक ऑफ इंडिया), तत्कालीन जी एम/मण्डल प्रमुख (यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) आदि सहित 16 आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर हुआ। तीसरा मामला दिनाँक 09.03.2020 को दर्ज हुआ एवं 42.91 करोड़ रु. (लगभग) की बैंक धोखाधड़ी के आरोप पर निजी कंपनियों तथा इसके निदेशकों, वित्तीय सलाहकारों, तत्कालीन डी जी एम/क्षेत्रीय प्रमुख (यूनियन बैंक ऑफ इंडिया), तत्कालीन जी एम/मण्डल प्रमुख (यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) आदि सहित 16 आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर हुआ।
जाँच के दौरान, यह ज्ञात हुआ कि ऋणी कंपनियों ने कथित रुप से जाली आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलीभगत में विभिन्न बैंकों से साख पत्रों (एल सी) की छूट लेने के दौरान झूठे एवं बनावटी कर इनवॉयस (fabricated tax invoices), लेन देन के बिल और जाली लॉरी रशीद पेश की।
यह आरोप था कि कम्पनी समूह के अध्यक्ष ने मुख्य भूमिका अदा की और अपने एक कर्मचारी के माध्यम से जाली एवं बनावटी वित्तीय आकड़े प्रस्तुत कर सभी तीन ऋणियों के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से साख सुविधा प्राप्त करने की ब्यवस्था की। यह भी आरोप था कि उक्त आरोपी ने अपने कर्मचारियों को कई हमनाम आपूर्तिकर्त्ता कंपनियों में निदेशक के तौर पर नियुक्ति किया और उनके माध्यम से जाली एवं बनावटी कर इनवॉइस, लेन देन के बिल और जाली लॉरी रशीद पेश की तथा कथित रूप से अपने कर्मचारियों के माध्यम से ऋण से प्राप्त धन (loan proceeds) का गबन किया। उसी रूप में, उन्हें उक्त मामलों में आरोपित किया गया।
आगे की जाँच जारी है।
जनमानस को याद रहे कि उपर्युक्त विवरण सी बी आई द्वारा की गई जॉच व इसके द्वारा एकत्र किए गए तत्थों पर आधारित है। भारतीय कानून के तहत आरोपी को तब तक निर्दोष माना जाएगा जब तक कि उचित विचारण के पश्चात दोष सिद्ध नही हो जाता।