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हिमाचल प्रदेश

प्रशासन ने हमेशा बाढ़ के खतरे को नजरंदाज किया, मार हम बेघर परिवार झेल रहे

July 17, 2021 09:54 AM

धर्मशाला, विजयेन्दर शर्मा: तेज बारिश व माँझी खड्ड में बाढ़ आने कारण चरान खड्ड बस्ती, धर्मशाला से विस्थापित लोग भी अनछुए नहीं रहे हैं। 16-17 जून 2016 को नगर निगम धर्मशाला ने चरान खड्ड से 290 परिवारों को बिना किसी पुनर्वास के उजाड़ दिया था। जिनमें से लगभग 50 परिवार मनेड़ पंचायत के चैतड़ू गाँव में मांझी खड्ड के किनारे किराये कि जमीन पर रह रहे थे। तेज बारिश व मांझी खड्ड में बाढ़ के कारण इन परिवारों कि झुग्गीयां, सामान व जरूरी दस्तावेज़ बाढ़ में बह गए और ये परिवार दोबारा से बेघर हो गए हैं।
चरान खड्ड बस्ती पुनर्वास समिति के ब्रेजेश बताते हैं कि "2016 से 2020 तक हमने प्रशासन को मांझी खड्ड में बाढ़ से खतरे के विषय पर कई पत्र लिखे और अधिकारियों से मुलाक़ात करके भी अवगत करने का प्रयास किया है। यह बेहद दुखद व निराशाजनक है कि प्रशासन ने हमेशा ही बाढ़ के खतरे को नजरंदाज किया जिसकी मार आज हम बेघर परिवार झेल रहे हैं"।
ज्ञापन में चरान खड्ड बस्ती पुनर्वास समिति ने सरकार से मांग करी है कि बाढ़ से पीड़ित लोगों को राशन, रिहाइश के लिए जगह, टेंट, अन्य जरूरी सामान (बर्तन, कपड़े आदि) व मुआवजा मुहैया करवाया जाये जिससे ये परिवार अपना जीवन समान्य तरीके यापन कर पायें।
गरिमापूर्ण व सुरक्षित जीवनयापन के लिए शहरी बेघर लोगों के लिए चलायी जा रही सरकारी आवास योजनाओं जैसे एकीकृत आवास स्लम विकास कार्यक्रम (IHSDP) या प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत इन परिवारों का पुनर्वास धर्मशाला शहर के पास तुरंत सुनिशिचित किया जाए। 3. जिन लोगों के राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड व बैंक पासबुक बाढ़ में बह गए हैं उन्हें पुन: बनवाने के लिए जिम्मेदार विभागों को निर्देश जारी किए जायें। 4. जिन 18 परिवारों के राशन कार्ड नहीं बने हैं, उन्हें राशन कार्ड मुहैया करवाए जायें। 5. भारत सरकार द्वारा एकल महिलाओं, बुजुर्ग व दिव्यांग लोगों की मदद के लिए चलायी जा रही मौजूदा योजनाओं के तहत चरान खड्ड बस्ती से उजाड़ी गयी एकल महिलाओं, बुजुर्ग व दिव्यांग लोगों को इन योजनाओं का लाभ मुहैया करवाए जाये।
समिति कि सदस्य नाजुकी कहती हैं “हम सभी लोग ‘गरीबी रेखा से नीचे’ हैं, दिहाड़ी मजदूरी व नगर निगम, धर्मशाला में ठेके पर सफाई कर्मचारी (50 लोग) का काम करके बड़ी मुश्किलों से अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। हम में से 42 लोग जो नगर निगम में ठेके पर सफाई कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे हैं उन्हें 2018 में राशन कार्ड मुहैया करवाए गए हैं जबकि अभी भी 18 परिवार बिना राशन कार्ड के हैं”।

 
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