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राष्ट्रीय

नर्सरी से 12वी तक स्कूलों को तुरंत खोले सरकार: कुलभूषण शर्मा

January 21, 2022 08:40 PM

चंडीगढ़ (आर के शर्मा) 

चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि पिछले 2 वर्षों से स्कूल कोरोना की मार झेल रहे है, एवं बच्चो का लर्निंग लॉस पहले ही बहुत ज्यादा हो चुका है।

ऐसे में स्कूल को फिर से बंद कर के सरकार ने ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि देश मे सबसे गैर जरूरी कार्य अगर कोई है तो वह शिक्षा का प्रचार - प्रसार है, जिम, क्लब, शराब के ठेके सब खुले है, बन्द है तो सिर्फ शिक्षा के मन्दिर, राजनीतिक रैली में 300 लोगो को इकठ्ठा होने की इजाजत है और, इससे कोरोना नही फ़ैल रहा है लेकिन स्कूल की क्लास में 30 बच्चे भी आये तो उनसे कोरोना फैल जाएगा।

वर्ल्ड बैंक एजुकेशन के डायरेक्टर ने कहा कि संक्रमण के नाम पर स्कूलों को बंद नही करना चाहिए, भारत मे 70 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे स्कूलों के बंद होने से बुरी तरह प्रभावित हुए है और यह प्रभाव 10 वर्षो से कम उम्र के बच्चों पर ज्यादा हुआ है। सभी विकसित देशों में भी स्कूल खुले है परंतु हमारी सरकारों के पास कोरोना से लड़ने का एक मात्र कारगर उपाय स्कूल बंद करना ही है। बाजारों में भीड़ हो, मेले लगे हो, ट्रेन में लोग सफर करते हो इनसे कोरोना नही होता सिर्फ स्कूलों में पढ़ाई शुरू होने से कोरोना फैलता है। 

हमारा सरकार से अनुरोध है कि तुरंत प्रभाव से नर्सरी से लेकर 12वीं तक के स्कूल खोला जाए और शिक्षा को फिर से पटरी पर लाया जाए। अभी कुछ जिलों में ही अभिभावकों ने आंदोलन किये है, अगर सरकार का रवैया ऐसा ही रहा तो सरकार की काली नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

20,000 से 35,000 तक की सलानां फी लेने वाले स्कूलों को फी रेगुलेटरी एक्ट के दायरे से बाहर करे सरकार 

जून 2020 में उत्तर प्रदेश सरकार ने फीस रेगुलेशन एक्ट लेकर आई जिसके तहत 20 हजार तक कि सालाना फीस लेने वाले स्कूलों को इस एक्ट के दायरे से बाहर रखा गया है, परन्तु हरियाणा सरकार दिसंबर -2021 में फीस रेगुलेशन एक्ट लेकर आई जिसके तहत प्राइमरी में 12 हज़ार तक कि सालाना फीस एवं मिडिल स्कूलों में 15 हज़ार तक कि सालाना फीस लेने वाले स्कूलों को बाहर रखा गया है। उत्तर प्रदेश का कानून लगभग 2 वर्ष पहले आया जबकि इन दो वर्षों में इन्फ्लेशन की दर 6 से 7 प्रतिशत रही अगर उस लिहाज से देखे तो आज की तारीख में यह Exemption (छूट) 23 हज़ार तक के आस - पास बैठती है, । जबकि हरियाणा की per capita इनकम , उत्तर प्रदेश के मुकाबले 4 गुना ज्यादा है,(साल 2020-21 मैं U.P प्रति व्यक्ति आय 73,792 प्रति वर्ष तथा हरियाणा 2,63,649 प्रति वर्ष है Source Wikipedia) इस पर भी सरकार ने फी रेगुलेशन एक्ट से छूट वाले स्कूलों की सीमा उत्तर प्रदेश से भी आधी रखी है। इसलिए सरकार से गुजारिश है कि प्राइमरी स्तर पर 20000, मिडिल स्तर पर 25,000, सेकेंडरी स्तर पर 30,000 तथा सीनियर सेकेंडरी स्तर पर 35,000 तक सालाना फीस लेने वाले स्कूलों को इस एक्ट के दायरे से बाहर रखा जाए।

पांचवी तथा आंठवी में बोर्ड की परीक्षा लेने के निर्णय को तुरंत वापिस ले सरकार 

दिनांक 18 जनवरी 2022 को सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत आर.टी.आई. एक्ट में संशोधन करके सरकार ने 5वी तथा 8वीं कक्षा में बोर्ड लाने को मंजूरी दी है, नई शिक्षा नीति के तहत 3वीं, 5वीं व 8वीं कक्षा में स्कूलों की गुणवत्ता चेक करने के लिए स्कूल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (SSRA) का गठन करना सुनिश्चित किया गया था, जोकि स्कूल में पढ़ाई की गुणवत्ता पर ध्यान देगी और यह भी निश्चित किया गया था कि 10वी की बोर्ड परीक्षा खत्म कर बोर्ड सिर्फ 12वीं कक्षा में रहेगा, ऐसे में सरकार ने 5वी, 8वीं में बोर्ड की परीक्षा लाने का निर्णय लेकर नई शिक्षा नीति की भावना के खिलाफ काम किया है। ऐसे में हम सरकार से अनुरोध करना चाहते है कि नई शिक्षा नीति में सुझाये गए सुझाव पर कार्य करे ना कि उन्हें तोड़ने - मरोड़ने का कार्य करे । क्योंकि नई शिक्षा नीति सभी प्रदेशो की सरकारो के सुझावों, विभिन्न शिक्षाविदों एवम शिक्षा संस्थानों से व्यापक विचार विमर्श कर बनाई गई है अब राज्य सरकार नई शिक्षा नीति के अनुसार काम करे और उसे तोड़ना मरोड़ने का अनुचित काम न करे।

134 - ए के पैसों का तुरंत भुगतान करे सरकार तथा नौवीं से बारवीं कक्षा के मानदेय राशि का निर्थारण हो बिना विलम्ब  

पिछले कई दिनों से सरकार अखबारों में लगातार बयान दे रही है कि हमने 134- ए के सभी फण्ड रिलीज कर दिए है लेकिन अभी भी स्कूलों को कोई पैसा नही मिला, सरकार बताए कि उन्होंने कितने स्कूलों को पैसा दे दिया है। हम बहुत बार प्रेस के माध्यम से, बातचीत के दौरान एवम बार बार लिख कर सरकार को बता चुके है कि हमारे 2014 से 134 -A तहत मिलने वाली मानदेय राशि पिछले लगभग 8 वर्षों से बकाया है और हमारे बार - बार आग्रह करने के बावजूद सरकार हमारे पैसे नही दे रही है। पिछले दिनों अखबार के माध्यम से हमने पढा की मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री ने 134-ए के तहत मिलने वाली राशि को 200 रुपये प्रति माह बढ़ाने का निर्णय लिया परन्तु इसके बारे में अभी तक कोई सूचना प्राप्त नही हुई है।

पिछले कई दिनों से सरकार अखबारों में लगातार बयान दे रही है कि हमने 134- ए के सभी फण्ड रिलीज कर दिए है लेकिन अभी भी स्कूलों को कोई पैसा नही मिला, सरकार बताए कि उन्होंने कितने स्कूलों को पैसा दे दिया है। हम बहुत बार प्रेस के माध्यम से, बातचीत के दौरान एवम बार बार लिख कर सरकार को बता चुके है कि हमारे 2014 से 134 -A तहत मिलने वाली मानदेय राशि पिछले लगभग 8 वर्षों से बकाया है 

हमारा सरकार से अनुरोध है इसमें गांव व शहरों की राशि एक समान होनी चाहिए, गांव के स्कूलों से किसी तरह का भेदभाव नही होना चाहिए। सरकार 9वीं से 12वी में 134-ए के तहत बच्चों को जोर जबरदस्ती से दाखिले दिला रही है, परंतु आज तक स्कूलों को इन बच्चों को पढ़ाने के एवज में एक फूटी कौड़ी नही मिली। हम सरकार से अनुरोध करना चाहते है कि सरकार 9वी व 10वी के छात्रों के लिए 1500 रुपये और 11वी व 12वी के छात्रों के लिए 2000 रुपए की मानदेय राशि सुनिश्चित करे और 2020-21 के सत्र से यह राशि तुंरत प्रभाव से स्कूलों के खाते में डाली जाए, ताकि कोरोना की मंदी को मार झेल रहे स्कूलों को राहत मिल सके।

फॉर्म - 6 भरने की अंतिम तिथि बढ़ाये सरकार: कुलभूषण शर्मा

सरकार ने कुछ दिन पहले गाइड लाइन जारी की जिसमे प्राइवेट स्कूलों को 1 फरवरी तक फॉर्म - 6 ऑनलाइन जमा करना है। परंतु अभी तक पोर्टल पर फॉर्म 6 भरने की विंडो शुरू नही हुई है। ऐसे में इतने कम समय मे फॉर्म - 6 भर पाना लगभग असंभव है, सरकार ने बहुत विस्तृत फॉर्म 6 जारी किया है, परन्तु इसको किस तरह से भरा जाए इसके लिए कोई भी साफ- साफ दिशा निर्देश जारी नही हुए है, हमारा सरकार से अनूरोध है कि फॉर्म 6 भरने की अवधि 15 मार्च तक बढ़ा दी जाए और हर ब्लॉक स्तर पर सरकार स्कूलों को फॉर्म 6 भरने का प्रशिक्षण दे। ताकि सभी स्कूल दिए गए समय के अंदर फॉर्म 6 भरकर जरूरी जानकारी सरकार को मुहैया करा सके।

भूमि से जुड़े नियम हो और भी पारदर्शी: 
सरकार ने पिछले दिनों 2003 से पहले से चल रहे स्कूलों को राहत देते हुए भूमि से जुड़े हुए नियमो में कुछ राहत दी है, हम सभी इसके लिए सरकार के आभारी है परंतु इसमे भी गांव के स्कूलों तथा शहर के स्कूलों के लिए भूमि के मानक अलग- अलग है, हमारा सरकार से अनुरोध है कि गांव व शहरों के स्कूलों के लिए भूमि के मानक एक जैसे होने चहिये। अतः सरकार को हमारी इस मांग को मानते हुए बच्चों व स्कूल संचालको को राहत देते हुए भूमि के मानक शहरों एवम गाँवों के लिए एक जैसा कर देने चाहिए। वर्ष 2019 मैं सरकार ने प्लेवे स्कूलों के लिए लगभग 1000 वर्ग गाज भूमि का मानक तय किया। इस मुद्दे पर भी प्रदेश सभी प्लेवे स्कूल संचालक असहमत है और वे सरकार से यह आग्रह कर रहे हैं कि जो भी प्ले-स्कूल्स अभी सुचारु रूप से कार्य कर रहे हैं उनको छूट प्रदान की जानी चाहिए।

मीटिंग के दौरान शर्मा ने कहा गया कि हरियाणा में प्राइमरी कक्षा तक के स्कूल्स के लिए अगर 300 गज क्षेत्र का पावधान है तो प्ले-स्कूलों के लिए 1000 वर्ग क्षेत्र का नियम सरासर निराधार है। उन्होंने सरकार से मांग की के प्लेवे स्कूलों की भूमि का मापदंड प्राइमरी स्कूलों के लिए तय की भूमि के अनुपात में होना चाहिए और नियम बनने से पूर्व चलने वाले स्कूलों को अधिकतम राहत भूमि के मानदंडों में मिलनी चाहिए।

 
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