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धर्म

श्रीमद् देवी भागवत कथा एकाग्रचित होकर सुनना चाहिए: डॉ बाल गोविंद शास्त्री जी महाराज

May 15, 2022 11:32 AM

  ज्वालामुखी (विजयेन्दर शर्मा ) 

ज्वालामुखी के गीता भवन में आयोजित श्रीमद देवी भागवत कथा में भागवत आचार्य डॉ बालगोविंद शास्त्री जी महाराज ने कहा कि श्रीमद् देवी भागवत कथा एकाग्रचित होकर सुनना चाहिए । जितने विश्वास के साथ हम भगवान की कथा सुनते हैं, उतना ही हमें अधिक फल प्राप्त होता है और दुनिया में कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जो भगवान की कथा से बड़ा है।

अठारह पुराणों में देवी भागवत पुराण उसी प्रकार सर्वोत्तम है, जिस प्रकार नदियों में गंगा, देवों में शंकर, काव्यों में रामायण, प्रकाश स्रोतों में सूर्य, शीतलता और आह्लाद में चंद्रमा, कर्मशीलों में पृथ्वी, गंभीरता में सागर और मंत्रों में गायत्री आदि श्रेष्ठ हैं। यह पुराण श्रवण सब प्रकार के कष्टों का निवारण करके आत्मकल्याण करता है। भक्तों को ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है।

मध्य प्रदेश के श्री पराम्बा धाम पोलीपाथर ग्वारीघाट जबलपुर से आये डॉ बालगोविंद शास्त्री जी महाराज ने देवी भागवत महात्म्य का श्रवण कराते हुए बताया कि श्रीमद् देवी भागवत की महिमा का वर्णन स्कंद पुराण के मानस खंड में 5 वें अध्याय में किया गया है। नैमिषारण्य में 88000 ऋषियों द्वारा सूत जी महाराज से देवी भागवत कथा का श्रवण कराने के लिए प्रार्थना करने पर सूत जी महाराज ने देवी भागवत की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि सर्वप्रथम द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण के पिता वासुदेव जी ने कंस के कारागृह में गर्गाचार्य जी को संकल्प देकर देवकी के अष्टम गर्भ की रक्षा के लिए देवी भागवत कथा करने को कहा।


मध्य प्रदेश के श्री पराम्बा धाम पोलीपाथर ग्वारीघाट जबलपुर से आये डॉ बालगोविंद शास्त्री जी महाराज ने देवी भागवत महात्म्य का श्रवण कराते हुए बताया कि श्रीमद् देवी भागवत की महिमा का वर्णन स्कंद पुराण के मानस खंड में 5 वें अध्याय में किया गया है। नैमिषारण्य में 28000 ऋषियों द्वारा सूत जी महाराज से देवी भागवत कथा का श्रवण कराने के लिए प्रार्थना करने पर सूत जी महाराज ने देवी भागवत की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि सर्वप्रथम द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण के पिता वासुदेव जी ने कंस के कारागृह में गर्गाचार्य जी को संकल्प देकर देवकी के अष्टम गर्भ की रक्षा के लिए देवी भागवत कथा करने को कहा।

उन्होंने बताया कि गर्गाचार्य जी ने विंध्याचल पर्वत पर नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी भागवत कथा का पाठ किया जिससे देवकी के अष्टम गर्भ्ा की रक्षा हुई। जब सत्राजित की मणि सत्राजित का भाई प्रसनजीत धारण करके शिकार खेलने के लिए गया और लौटकर नहीं आया तब भगवान द्वारिकाधीश के रक्षा के लिए द्वारिका पुरी में देवी भागवत कथा का आयोजन किया गया।

शास्त्री जी ने बताया कि द्वारिकाधीश पर मिथ्या कलंक सत्राजित द्वारा लगाया गया कि द्वारिकाधीश ने मणि चुरा ली। द्वारिकाधीश मणि को ढूंढते हुए जंगल में पहुंचे,वहां पर प्रसनजीत मरा पड़ा था। प्रसनजीत को मारने वाले शेर को ढूंढते हुए जब उन्होंने गुफा में प्रवेश किया तो वहां पर रीछराज जामवंत के साथ युद्ध प्रारंभ हो गया।

द्वारिकापुरी में द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण के पिता वसुदेव जी ने श्री कृष्ण की रक्षा के लिए नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी भागवत कथा का आयोजन किया जिसके प्रभाव से द्वारिकाधीश ने रीछराज जामवंत को पराजित किया एवं द्वारिकापुरी लौटकर आए। शास्त्री जी ने बताया कि जो भी व्यक्ति देवी भागवत कथा का श्रवण करता है, मां भगवती जगदंबा की कृपा से उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

 
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