जीरकपुर, कृतिका:
जीरकपुर को नगर परिषद अनप्लांड ही देखना चाहती है। यही वजह है कि साल 2015 में शहर को सेक्टर वाइज बसाने के लिए लाखों रुपए खर्च कर सर्वे कर इसका पूरा डाटा तैयार किया गया। शहर का मास्टर प्लान और सेक्टर वाइज प्लान जोड़कर इसे 16 सेक्टर्स में बांटा गया। उस दौरान शहर की आबादी ढाई लाख के आसपास थी। अब शहर की आबादी साढ़े 4 लाख से ऊपर है। उस दौरान मकानों की संख्या करीब 60 हजार थी। अब एक लाख के आसपास पहुंचने वाली है। बीते 7 साल में शहर कई तरफ से बढ़ा है। नई आबादी और नए अर्बनाइजेशन से जीरकपुर एमसी का लाखों रुपए खर्च कर तैयार किया गया सेक्टर वाइज प्लान अब किसी काम का नहीं। अगर शहर को सेक्टर वाइज बसाना होगा तो इसके लिए दोबारा से सर्वे करना पड़ेगा। एक्सरसाइज दोबारा से करनी पड़ेगी। इसमें समय भी लगेगा और पैसा भी। अगर पहले ही शहर को सेक्टर वाइज बसाया होता तो इसमें नए जुड़े एरिया को नए सेक्टर के अनुसार बढ़ाया जाता। शहर को एक नई पहचान मिलती, जो जीरकपुर एमसी नहीं दे सकी।
चुनावी मुद्दा भी बना:
जीरकपुर को सेक्टर वाइज बसाने की प्लानिंग को
चुनावी मुद्दा भी बनाया गया था। पिछले साल हुए जीरकपुर एमसी के चुनावों में राजनीतिक पार्टियों ने दावा किया था कि वे सत्ता में आए तो जीरकपुर को सेक्टर वाइज बसाने का काम पूरा करवाएंगे। लेकिन बाद में इस बारे में कुछ नहीं हो पाया।
ऐसा हुआ था सर्वे:
जीरकपुर में साल 2015 में कई महीनों की मेहनत से एरिया की प्रॉपर्टीज को लेकर सर्वे किया गया था। इस डाटा का इस्तेमाल शहर के जियोग्राफिकल इन्फॉर्मेशन एनालिसिस के लिए किया जाना था। सर्वे के दौरान 2 तरह से काम किया गया। पहले तो सेटेलाइट से प्रॉपर्टीज की इमेज ली गई। बाद में उस इमेज की ग्राउंड वेरिफिकेशन की गई। यह सब इसलिए किया गया ताकि शहर की बेहतर और प्लानिंग के साथ डेवलपमेंट की जा सके। उस समय जीरकपुर शहर को 28 ब्लॉक्स में बांटकर सर्वे किया गया था। सर्वे का काम कुछ प्वॉइंट्स को ध्यान में रखकर किया गया था, जैसे जीरकपुर शहर में कितनी बिल्डिंग बनी। कितनी बन रही हैं। कितनी कॉलोनियां बनी और उनमें कितने मकान बने हैं। मकान सिंगल स्टोरी बना है, डबल स्टोरी, थ्री या फोर स्टोरी बना हुआ है। इसके लिए पहले सेटेलाइट से उस एरिया की एक इमेज ली गई। क्योंकि ऊपर से मकान की छत ही नजर आती है, फ्लोर का पता नहीं चलता। इसके लिए ग्राउंड वेरिफिकेशन करने वाली टीम ने मकानों का सर्वे किया था। सेटेलाइट इमेज से मकान की इमेज का मिलान कर उसके फ्लोरवाइज नक्शे की जानकारी भी दर्ज की गई थी। कमर्शियल बिल्डिंग्स का भी रिकॉर्ड इसी तरह से तैयार किया गया था। जीरकपुर एमसी की लिमिट के अंदर बने तमाम कैटेगरी की प्रॉपर्टी का डाटा तैयार किया गया था। इसका मकसद यह था कि शहर में कितनी प्रॉपर्टीज हैं और उनके मालिक कौन हैं, इसका रिकॉर्ड तैयार हो सके। इसके कई और फायदे भी थे। इससे जीरकपुर एमसी को जानकारी मिल सकती थी कि किसने टैक्स जमा किया किसने नहीं।