देशभर से पहुंचे पांच हजार से अधिक लोगों ने अर्पित किए श्रद्धासुमन
राज सदोष/आबू रोड
ब्रह्माकुमारीज संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि की 15वीं पुण्यतिथि पर देशभर से आबू रोड शांतिवन पहुंचे पांच हजार से अधिक लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में दादी की पुण्यतिथि संस्थान के भारत सहित विश्वभर के सेवाकेंद्रों पर मनाई गई।
सबसे पहले मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने श्रद्धासुमन अर्पित कर दादीजी के संग के अपने अनुभव सांझा किए। ब्रह्माकुमारीज की संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके मुन्नी बहन ने कहा कि दादी जी की शिक्षाओं और प्रेरणाओं से आज इतने बड़े ईश्वरीय परिवार का कुशल संचालन कर पाती हूं। दादीजी के जीवन की तीन मुख्य शिक्षाएं थीं- निमित्त, निर्माण और निर्मल वाणी जिसे अपने जीवन में फॉलो करने के साथ बीके भाई-बहनों के जीवन में धारण करा सकूं।वरिष्ठ राजयोग शिक्षक बीके सूरज भाई ने कहा कि दादीजी का प्रयास रहता था कि वह भाई-बहनों की विशेषता देखकर उसी अनुसार सेवा में आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती थीं। दादी से मिलकर सभी को ऐसा एहसास होता था कि दादी मेरी हैं। सभी को अपनेपन की फीलिंग आती थी।
महासचिव बीके निर्वैर भाई ने दादी के संग के अनुभव बताते हुए कहा कि दादी भाई-बहनों को अपना परिवार का सदस्य मानते हुए उसी तरह संभाल करतीं थीं। उनका सरल व्यवहार, मधुर वाणी और निमित्त भाव ही था कि वह एक-एक भाई-बहन से हालचाल पूछतीं और उनके साथ भोजन करती थीं। वह त्याग और ममता की मूरत थीं।
वरिष्ठ राजयोग शिक्षक बीके सूरज भाई ने कहा कि दादीजी का प्रयास रहता था कि वह भाई-बहनों की विशेषता देखकर उसी अनुसार सेवा में आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती थीं। दादी से मिलकर सभी को ऐसा एहसास होता था कि दादी मेरी हैं। सभी को अपनेपन की फीलिंग आती थी।
दादीजी को श्रद्धांजली देने के लिए भाई-बहनों का सुबह आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक तांता लगा रहा। इस दौरान सभी ने दादीजी को योग और पुष्पों से श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम के समापन पर विशेष भोग लगाया गया और ब्रह्माभोजन का आयोजन किया गया।