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सिविल सेवकों के लोकाचार का अभिन्न अंग होना चाहिए, 'भारतमेव कुटुम्बकम्' : राष्ट्रपति

August 26, 2022 02:51 PM

नई दिल्ली, फेस2न्यूज:

वर्तमान में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में सहायक सचिवों के रूप में पदस्थ 2020 बैच के 175 आईएएस अधिकारियों के एक समूह ने राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की।
अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को ज्ञानए आपूर्ति.श्रृंखलाए नवाचारए प्रौद्योगिकी.विकास और विभिन्न अन्य क्षेत्रों के वैश्विक केंद्र के रूप में उभारने में सिविल सेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि भारत को सामाजिक रूप से समावेशी और पर्यावरणीय रूप से सतत विकास के क्षेत्रों में नेतृत्व की अपनी स्थिति को मजबूत करना होगा।  

2020 बैच के आईएएस अधिकारियों ने की राष्ट्रपति से भेंट


इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि 2047 तक, 2020 बैच के अधिकारी सबसे वरिष्ठ निर्णय लेने वाले अधिकारी होंगे, राष्ट्रपति ने कहा कि जोश और गर्व के साथ काम करके, वे यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि 2047 का भारत अधिक समृद्ध, मजबूत और खुशहाल हो। उन्होंने कहा कि 2047 के भारत को आकार देने के लिए उन्हें आधुनिक दृष्टिकोण और सेवा भावना के साथ काम करना होगा। उन्होंने कहा कि मिशन कर्मयोगी सिविल सेवकों को उनके दृष्टिकोण में अधिक आधुनिकए गतिशील और संवेदनशील बनाने की एक प्रमुख पहल है।
राष्ट्रपति ने कहा कि बुनियादी ढांचे में जबरदस्त वृद्धि के साथ, देश के दूरदराज के हिस्सों तक पहुंचना आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने क्षेत्र के अंतिम व्यक्ति या सबसे वंचित व्यक्ति तक पहुंचें और उनके जीवन स्तर में सुधार करें। वे उन लोगों के लिए अवसरों के द्वार खोल सकते हैं जिन्हें कल्याणकारी योजनाओं या विकास कार्यक्रमों की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी कल्याणकारी पहल को वास्तव में तभी सफल माना जा सकता हैए जब उसका लाभ हमारे समाज के सबसे निचले तबके के गरीबों, दलितों और अन्य लोगों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को ऐसे वंचित लोगों तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। वंचित लोगों की मदद के लिए उन तक पहुंचने में उन्हें परेशानी नहीं होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि लोक सेवकों को जन सेवा के प्रति समर्पणए कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति और करुणा, सत्यनिष्ठा और आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने और निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। उनसे उम्मीद की जाती है कि वे पंचायती राज संस्थाओं, प्रशासन, अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातियों के संबंध में संवैधानिक प्रावधानों को लेकर खासतौर से सजग और सक्रिय रहें और इसके अलावा छठी अनुसूची में उल्लिखित पूर्वोत्तर के जनजातिय इलाकों में प्रशासन के प्रावधानों के प्रति भी जागरूक रहें।
राष्ट्रपति ने कहा कि लोक सेवकों में मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से अपने क्षेत्र को श्अव्वलश् बनाने का जोश होना चाहिए और उन्हें वंचितों के जीवन को पूरी तरह से बदलने में गर्व महसूस करना चाहिए। उन्हें उन लोगों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए जिनकी सेवा करने के लिए वे कर्तव्यबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि 'वसुधैव कुटुम्बकम्' महान भारतीय लोकाचार का हिस्सा है जिसका तात्पर्य है संपूर्ण विश्व एक बड़ा परिवार है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित सिविल सेवकों के लोकाचार का अभिन्न अंग होना चाहिए. 'भारतमेव कुटुम्बकम्' पूरा भारत मेरा परिवार है।

 
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