राज सदोष/अबोहर :
विश्ववंदनीय संत प्रमुखस्वामी महाराज के शताब्दी समारोह में डेरा ब्यास के मुखिया गुरिन्द्र सिंह ढिल्लों अर्थात बाबा जी भी शामिल हुए। उन्होंने बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के अध्यात्मिक मुखिया महंत स्वामी महाराज के प्रात: पूजा कार्यक्रम में भाग लिया। स्वामी जी ने पुष्प माला द्वारा बाबा जी का अभिनंदन करते हुए उनकी संस्था के सेवाकार्यों की भरपूर सराहना की। इस अवसर पर हिम्मत नगर से आए कलाकारों ने कीर्तन की भावमयी प्रस्तुति दी।
शताब्दी समारोह के अंतर्गत संतों का आदिवासियों के सर्वांगीण उत्थान में योगदान विषय पर विचार व्यक्त करने वालों में मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, आनंद बलिया ट्रस्ट के प्रमुख डॉ. स्वामी चिदानंद महाराज, नार्थ ईस्टन चाय एसोसिएशन के सलाहाकार बिदयानंद बेरकोटी, शांती काली आश्रम के पूज्य चित्तरंजन महाराज, ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट के कार्यकारी अधिकारी रिचर्ड हॉक्स ऑबे, म्यूर इंडिया के निदेशक अजीत कुमार सूद, बोरोसिल लिमिटिड के अध्यक्ष प्रदीप कुमार खेरूका, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान, वनवासी कल्याणी आश्रम के अध्यक्ष रामचन्द्र खराडी व पूर्व सांसद तरूण विजय शामिल थे।
वक्ताओं ने कहा कि प्रमुखस्वामी महाराज ने अपने नि:स्वार्थ प्रेम और आध्यात्मिक बल से आदिवासियों के उत्थान के लिए देशव्यापी आंदोलन में अविस्मरणीय योगदान दिया। दिव्यदृष्टा प्रमुखस्वामी महाराज ने उन पर अथाह स्नेह वर्षा के साथ-साथ उनके जीवन-उत्कर्ष के लिए अनेक कार्य किए। आदिवासियों के जीवन उत्कर्ष की गतिविधियों को निरंतर जारी रखने के लिए प्रमुखस्वामी महाराज ने उन्हें संतों और मंदिरों के साथ आदिवासी छात्रावास, विद्यालय परिसर और चल-चिकित्सालयों की भेंट दी ।
उन्होंने कहा कि आदिवासी उत्थान के लिए वर्ष 1977 में साबरकांठा में प्रमुखस्वामी महाराज ने 45 डिग्री तापमान में 91 गांवों में और 1979 में 21 दिनों में 95 गांवों में विचरण किया। दूर-दराज के गाँवों में कष्ट सहते हुए विचरते प्रमुखस्वामी महाराज ने दरिद्रता, अंधविश्वास, अशिक्षा, व्यसनों तथा अन्य अनेक समस्याओं से ग्रस्त लोगों का जीवन बदला। वक्ताओं का कहना था कि प्रमुख स्वामी जी आदिवासियों की एक झोपड़ी से दूसरी झोपड़ी में गए और उनके जीवन को पवित्र संस्कारों से समृद्ध किया।
आदर्शजीवन स्वामी ने प्रमुखस्वामी महाराज के आदिवासी उत्थान के भागीरथ कार्य को वर्णित किया। आदिवासियों के टिंबली नृत्य के माध्यम से प्रमुखस्वामी महाराज के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित की गई। ज्ञाननयन स्वामी द्वारा वनवासियों के वनमाली प्रमुखस्वामी महाराज विषय पर प्रवचन के माध्यम से प्रमुखस्वामी महाराज द्वारा वनवासियों पर की गई प्रेमवर्षा का वर्णन किया।