चंडीगढ़, फेस2न्यूज:
प्रधान मंत्री के नेतृत्व में, भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (IYM) 2023 के प्रस्ताव को प्रायोजित किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने स्वीकार कर लिया। यह घोषणा भारत सरकार के लिए आईवाईएम मनाने में सबसे आगे रहने के लिए सहायक रही है। भारत के प्रधान मंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 'मिलेट्स के लिए वैश्विक हब' के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ IYM 2023 को 'जन आंदोलन' बनाने के लिए अपना दृष्टिकोण भी साझा किया है। मिलेट्स लंच उस दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है।
बातचीत के दौरान, राजेंद्र चौधरी, एडीजी, पीआईबी चंडीगढ़ ने कहा, “हमारे प्रधान मंत्री द्वारा 2023 के वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित करना आने वाले समय में गेम चेंजर बन जाएगा। आज की युवा आबादी कम उम्र से ही स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं को देख रही है। मिलेट्स का सेवन इन स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में मदद कर सकता है। मिलेट्स में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स, उच्च प्रोटीन वैल्यू होता है और यह ग्लूटन मुक्त होता है। व वजन घटाने में भी सहायता कर सकते हैं।"
सीबीसी चंडीगढ़ के निदेशक विवेक वैभव ने मिलेट्स के महत्व पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा की , “मिलेट्स के बहुआयामी लाभ हैं। यह न केवल उपभोक्ताओं के लिए बल्कि उत्पादकों और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। मिलेट्स का उत्पादन कम पानी और कम बिजली की खपत वाला होता है। उपभोक्ता का स्वस्थ जीवन होगा क्योंकि मिलेट्स मोटापा, मधुमेह, एनीमिया, हार्मोनल असंतुलन, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि जैसी कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। इसलिए, यह पौष्टिक पोषण का एक उत्कृष्ट स्रोत है। आज के आयोजन का उद्देश्य मीडिया की मदद से मिलेट्स के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इससे खपत भी बढ़ेगी और बाद में मांग भी बढ़ेगी।"
उमेंद्र दत्त, कार्यकारी निदेशक, खेती विरासत मिशन, जो इस अवसर पर एक विशेष वक्ता थे, ने कहा, “मिलेट्स अब मामूली फसलों के रूप में नहीं देखा जाता है। वे गेहूं और चावल चक्रीय कृषि के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। वे हमारे कार्बन पदचिह्न को भी कम कर सकते हैं।" पराली जलाने के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “मिलेट्स का डंठल मवेशियों के लिए बहुत अच्छा चारा है। इसलिए किसान इन्हें नहीं जलाते हैं। यह पंजाब की पराली जलाने की समस्या का संभावित समाधान है।” इस मौके पर मिलेट्स की खेती करने वाले किसान रविंद्र सिंह गुरमुख सिंह व विपुल कंबोज ने भी अपने-अपने अनुभव शेयर किये।