हिसार/हांसी, फेस2न्यूज:
रोहतक-महम-हांसी रेल लाइन के लिये भूमि अधिग्रहित प्रभावित किसानों ने जिला उपायुक्त की अनुपस्थिति में किसान नेता राजेन्द्र सोरखी के नेतृत्व में सिटी मैजिस्ट्रेट को ज्ञापन देकर अगले चार सप्ताह में अपना संवैधानिक हक मांगा है और हक न मिलने की स्थिति में शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाने व अपने अधिकार के लिये हर बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार हैं। ज्ञापन देने वाले प्रभावित किसानों में स्वयं राजबीर, महाबीर, सतबीर, सूबेसिंह, जयबीर, जगबीर, सुखविन्द्र, अनिल, संदीप, राममेहर, अमित, रमेश, धर्मबीर, रामअवतार, सतपाल, राजेन्द्र, प्रदीप, जोरासिंह, रामबीर, राजेन्द्र सिंह, मंदीप, रघुबीर, अजमेर, संजय, मनोज, संदीप कुमार आदि शामिल रहे।
ज्ञापन में कहा गया है कि रोहतक-महम-हांसी रेल लाइन के निर्माण के लिये जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है, उन्हें नये जमीन अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा व हर्जाना देने के साथ-साथ किसानों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान की जाये। इसके अलावा रेल लाइन के दोनों ओर विभाजित भूमि के लिये रास्ते व सिंचाई नाली की व्यवस्था करने के लिये गांवों व खेतों के मुख्य मार्गों पर बनाये गये तलाबनुमा पुलों में से व रेल लाइन के साथ लगती जमीनों में होने वाले अत्याधिक जलभराव से निजात दिलाने की पूर्ण व्यवस्था की जाये। ज्ञापन में आगे कहा गया है कि रोहतक-महम-हांसी रेल लाइन के लिये सीए नं.6124/2022 में उच्चतम न्यायालय ने भी नये अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा व हर्जाना निर्धारण करने के आदेश पारित किये हैं लेकिन नये कानून की मुआवजा निण्र्धरण की समस्त धारा 26, 27, 28, 29, 30, 31 व 32 के सभी प्रावधानों का सरासर उल्लंघन की केवल कलेक्टर रेट को ही मार्किट वैल्यू मानकर वास्तविक मार्किट भाव से आधे से भी कम मुआवजा व हर्जाना निर्धारित कर नये कानून के सभी प्रावधानों से प्रभावित किसानों को वचिंत किया गया है। किसानों ने ज्ञापन में कहा है कि उनकी अधिग्रहित भूमि के इस्तेमाल व प्रकार के अनुसार ही बाजार भाव का आंकलन करे। नये कानून के प्रावधानों के अनुसार ही उचित मुआवजा व हर्जाना व रॉयल्टी निर्धारण करके व्यवसायिक व औद्यागिक जमीनों के बदले वैकल्पिक जमीन भी प्रदान की जाये। रेल लाइन के दोनों तरफ विभाजित जमीन के लिये सिंचाई की नाली व रास्तों पर पुलिया आदि बनाने के लिये प्रभावित किसान बार-बार सरकारी महकमों के चक्कर लगा रहे हैं जबकि ठेकेदार की कम्पनी व सरकार के अधिकारी विभाजित जमीन की सिंचाई व रास्तों के लिये पुलिया बनाने के नाम पर किसानों से भारी भरकम रिश्वत मांग रहे हैं तथा शिकायत करने पर झूठे मुकदमें में फंसाने की धमकी देते हैं। कुछ किसानों पर झूठे मुकदमें दर्ज करवाये भी गये हैं। इससे परेशान कुछ किसान आत्महत्या का प्रयास तक कर चुके हैं। जिला प्रशासन से अनुरोध किया गया है कि प्रभावित किसानों पर दर्ज मुकदमें वापिस लिये जाएं और विभाजित जमीन के लिये सिंचाई नाली व रास्ते आदि बनाने की समुचित व्यवस्था की जाये। किसानों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगों को चार सप्ताह में माना न गया तो वे आंदोलन की राह पर चल पडेंगे जिसकी जिम्मेवारी जिला प्रशासन व सरकार की होगी।