मनमोहन सिंह
आज न जाने क्यों मुझे जनाब जिगर मुरादाबादी का यह शेर बरबस ही याद आ रहा है:
"ये इश्क नहीं आसाँ इतना ही समझ ली जे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है"
यह शेर आज भारतीय महिला क्रिकेट टीम पर पूरी तरह लागू होता है। मतलब यह कि हालांकि मुझे भारत का पलड़ा थोड़ा भरी ज़रूर लगता है पर दक्षिण अफ्रीका को भी कम नहीं आंका जा सकता। नवीं मुंबई के मैदान पर आज जब भारत की टीम विश्व कप के फाइनल के लिए उतरेगी तो उसे दक्षिण अफ्रीका से पूरी टक्कर मिलेगी इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए। वैसे क्रिकेट जैसे खेल में पुराने आंकड़ों का कोई खास मतलब नहीं होता फिर भी आंकड़ों से कुछ विश्लेषण तो होता ही है।
इस हिसाब से भारत ने जो खेल सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दिखाया और जिन हालात से निकल कर भारत विजयी हुआ वह भारत के जुझारूपन, उसकी टीम भावना और अनुशासन को दर्शाते हैं। दूसरी ओर दक्षिण अफ्रीका की इंग्लैंड पर एक तरफा जीत उसके बुलंद इरादों की कहानी को बयां करती है। हालांकि लीग मैच में इंग्लैंड के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका की टीम 21 वें ओवर में मात्र 69 रनों पर आउट हो गई थी और इंग्लैंड ने यह लक्ष्य 15 वें ओवर में बिना कोई विकेट खोए पा लिया था। लेकिन सेमीफाइनल में उल्टा हो गया।इस बार दक्षिण अफ्रीका ने सात विकेट पर 319 रन बना दिए और इंग्लैंड 194 पर लुढ़क गया। इस वजह से पुराने आंकड़ों पर अधिक भरोसा नहीं करना चाहिए।
आज भारत के हक में यह बात जाती है कि इस मैदान पर दक्षिण अफ्रीका ने इससे पहले कोई मैच नहीं खेला है। यहां की परिस्थितियों से भारत अधिक वाकिफ है। यहां की पिच को देखते हुए यह तो आसानी से कहा जा सकता है कि यहां अधिक स्कोर का मैच होगा। गेंदबाजों के लिए अधिक मदद नहीं होगी। हां फिरकी गेंदबाज अधिक प्रभावशाली रहने की उम्मीद है। अभी तक यहां खेले मैचों में तेज़ गेंदबाजों ने 15 तो फिरकी गेंदबाज 30 विकेट लिए हैं। इसी लिए यहां चरनी, दीप्ति शर्मा, स्नेहा जैन या राधा यादव में से जो भी टीम में हो, अधिक सफलता मिल सकती है। लेकिन उनकी सबसे खतरनाक सलामी बल्लेबाज लौरा वॉल्वार्ड और ताजमीन ब्रिट्स को संभालने की जिम्मेदारी रेणुका सिंह ठाकुर और क्रांति गौड़ पर होगी।
वॉल्वार्ड इस विश्वकप में सबसे अधिक रन बना चुकी है। रेणुका और क्रांति दोनों में यह सलाहियत है कि वे इस बल्लेबाज को सस्ते में आउट कर सकती हैं। जहां तक अमानजोत कौर की बात है तो वह भी हर उस बल्लेबाज के लिए खतरनाक है जो उसे लापरवाही से खेले क्योंकि उसकी हर गेंद स्टंप्स पर रहती है। उसकी गेंदों पर रिवर्स स्वीप या कोई भी क्रॉस बेटेड शॉट जोखिम भरा हो सकता है।
इसके अलावा शैफाली वर्मा एक ऐसी बल्लेबाज है जो अगर तीन चार ओवर खड़ी रह गई तो मैच का रुख बदल सकती है। पर उसे अपनी शॉट सिलेक्शन पर ध्यान देना होगा। स्मृति के साथ शैफाली की भूमिका भी महत्वपूर्ण रहेगी। भारत के पास अच्छे स्तर की गेंदबाज हैं पर अगर लाइन या लेंथ से भटकते रहेंगे तो कोई कुछ नहीं कर सकता। इस मैच में पॉवर प्ले बहुत कुछ तय कर देगा।