लोकतांत्रिक विचारधारा के मद्देनजर उन्होंने नवां ज़माना, अकाली पत्रिका, पंजाबी ट्रिब्यून में अपनी सेवाएं अर्पित की। बरनाला के लेखकों साहित्यकारों कवियों के लिए बेहतरीन प्लेटफॉम त्यार करके दिया। इसी कारण पत्रकार जगीर सिंह जगतार को लेखकों साहित्यकारों कवियों की मां के नाम से संबोधन किया जाने लगा। उसी प्लेटफार्म पर बैठ सैंकड़ों लेखकों और पत्रकारों को उज्जवल भविष्य मिल सका।