ENGLISH HINDI Saturday, July 19, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
'घिच पिच'—पिता, बेटों और चंडीगढ़ शहर पर आधारित एक प्रभावशाली, युवावस्था पर आधारित फिल्म 1 अगस्त, को सिनेमाघरों में होगी रिलीज़ सीएम फ्लाइंग टीम का हिसार में छापा प्रसिद्ध ब्रांड्स के सैंपल लिए, एक का चालानजिनकी जन्म कुंडली में क्रूर ग्रहों का कुप्रभाव हो तो श्रावण मास में रुद्राभिषेक से ग्रह शांत हो जाते हैं : आचार्य ईश्वर चंद्र शास्त्रीसी.ई.टी. परीक्षा के अभ्यर्थियों को परिवहन विभाग द्वारा निःशुल्क बस सुविधा उपलब्धफिजियोथैरेपी डॉक्टर रचयिता माथुर उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानितअजीत अंजुम पर दर्ज एफआईआर का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावित हिमाचल के लिए उदार केंद्रीय सहायता का किया आग्रह, मिला आश्वासन फाजिल्का के समाजसेवियों का लुधियाना में सम्मान
एस्ट्रोलॉजी

13 जनवरी रविवार को मनाएं लोहड़ी सायं 6 बजे के बाद रात्रि 11 बजकर 42 मिनट तक

January 08, 2019 06:20 PM
मकर संक्राति 15 जनवरी को 
मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद, 098156 19620
Madan Gupta Sapatu
    
इस बार लोहड़ी का पर्व गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाशोत्सव तथा रविवार के कारण और भी विशेष है।
लोहड़ी  परंपरागत रूप से रबी फसलों की फसल से जुड़ा हुआ है और यह किसान परिवारों में सबसे बड़ा उत्सव भी है। पंजाबी किसान लोहड़ी के बाद भी वित्तीय नए साल के रूप में देखते हैं। कुछ का मानना है कि लोहड़ी ने अपना नाम लिया है .कबीर की पत्नी लोई ग्रामीण पंजाब में लोहड़ी लोही है।
मुख्यतः  पंजाब का पर्व होने से इसके नाम के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं। ल का अर्थ लकड़ी है, ओह का अर्थ गोहा यानी उपले, और ड़ी का मतलब रेवड़ी । तीनों अर्थों को मिला कर लोहड़ी बना है।

इस बार लोहड़ी का पर्व गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाशोत्सव तथा रविवार के कारण और भी विशेष है।
लोहड़ी  परंपरागत रूप से रबी फसलों की फसल से जुड़ा हुआ है और यह किसान परिवारों में सबसे बड़ा उत्सव भी है। पंजाबी किसान लोहड़ी के बाद भी वित्तीय नए साल के रूप में देखते हैं। कुछ का मानना है कि लोहड़ी ने अपना नाम लिया है .कबीर की पत्नी लोई ग्रामीण पंजाब में लोहड़ी लोही है।

अग्नि प्रज्जवलन का  मुहूर्त
रविवार  की सायंकाल 6 बजे  लकड़ियां, समिधा, रेवड़ियां, तिल आदि सहित अग्नि प्रदीप्त करके अग्नि पूजन के रुप में लोहड़ी का पर्व मनाएं  रात्रि 11 बजकर 42 मिनट तक।
संपूर्ण भारत में लोहड़ी का पर्व धार्मिक आस्था, ऋतु परिवर्तन, कृशि उत्पादन, सामाजिक औचित्य से  जुड़ा है। पंजाब में यह कृशि में रबी फसल से संबंधित है, मौसम परिवर्तन का सूचक तथा आपसी सौहार्द्र का परिचायक है। 
सायंकाल लोहड़ी जलाने का अर्थ है कि अगले दिन सूर्य का मकर राषि में प्रवेष पर उसका स्वागत करना। सामूहिक रुप से आग जलाकर सर्दी भगाना और मूंगफली , तिल, गज्जक , रेवड़ी खाकर षरीर को सर्दी के मौसम में अधिक समर्थ बनाना ही लोहड़ी मनाने का उद्ेष्य है। आधुनिक समाज में लोहड़ी उन परिवारों को सड़क पर आने को मजबूर करती है जिनके दर्षन पूरे वर्श नहीं होते। रेवड़ी मूंगफली का आदान प्रदान किया जाता है। इस तरह सामाजिक मेल जोल में इस त्योहार का महत्वपूर्ण योगदान है।
इसके अलावा कृशक समाज में  नववर्श भी आरंभ हो रहा है। परिवार में गत वर्श नए षिषु के आगमन या विवाह के बाद पहली लोहड़ी पर जष्न मनाने का भी यह अवसर है। दुल्ला भटटी की सांस्कृतिक धरोहर को संजो रखने का मौका है।  बढ़ते हुए अष्लील गीतों  के युग में ‘संुदरिए मुंदरिए हो  ’ जैसा लोक गीत सुनना बचपन की यादें ताजा करने का समय है।
आयुर्वेद के दृश्टिकोण से  जब तिल युक्त आग जलती है, वातावरण में बहुत सा संक्रमण समाप्त हो जाता है और परिक्रमा करने से षरीर में गति आती है । गावों मे आज भी लोहड़ी के समय सरसों का साग, मक्की की रोटी अतिथियों को परोस कर उनका स्वागत किया जाता है।
 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें
 
और एस्ट्रोलॉजी ख़बरें
ज्योतिष सम्मेलन में कुंडली दिखाने उमड़े लोग, प्रख्यात ज्योतिषाचार्य नवदीप मदान सम्मनित नामवर ज्योतिष सम्राट नवदीप मदान का सम्मान वास्तु विशेषज्ञ परामर्श के बिना भी अपने घर या कार्यक्षेत्र में कर सकते हैं वास्तु के कुछ खास बदलाव वास्तु के अभाव का प्रभाव हरमिटेज सेंट्रल के ज्योतिष शिविर में सैकड़ों ने दिखाई कुंडली करवा चौथ पर विशिष्ट संयोग,निसंकोच रखें व्रत, करें शुक्रास्त पर भी उद्यापन! हिन्दू त्योहार दो- दो दिन क्यों बताए जाते हैं ? इस वर्ष रक्षा बंधन, किस दिन मनाएं ? श्रावण मास में सोमवार व्रत का अत्यधिक महत्व : स्वामी सुन्दर लाल भार्गव कैसे सुहाना और सुनहरा है सावन...बता रहे हैं जाने माने ज्योतिषी पंडित सुन्दर लाल भार्गव