सूटा बार- के 26वां आऊटलैट चंडीगढ़ में, कई फ्लेवर की चाय का स्वाद चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री
कुल्लड़ चाय सूटा बार- 26वां आऊटलैट चंडीगढ़ में खोलकर तीन युवकों ने चाय बेचने के काम को शुरू किया । जहां देश के प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी के चाय बनाने के कार्य से प्रधान मंत्री बनने के तक के सफर की बात होती है, वहीं अब तीन नौजवानों ने चाय बनाने के कारोबार को करोड़ो रुपए की आमदन पर लेजा कर एक नयी मिसाल कायम की है।आनंद ने बताया कि इन चाय सूटा आऊटलैट में 400 के करीब नौजवान और दिव्याअंग लोग ही काम करते हैं जबकि मिट्टी के कुल्लड़ वह दस गाँवों के 200 परिवारों से खरीदते हैं, इस तरह इन नौजवानों ने न सिर्फ चाय बनाने के पेशे को हाईटैक कर दिया बल्कि कई सौ घरों के लिए रोटी का प्रबंध भी किया। इस तरह यह ब्रांड प्रकृति प्रेमी होने साथ साथ लुप्त कुम्हारों के लिए भी संजीवनी बूटी साबित हो रहा है
आज से लगभग तीन साल पहला मिट्टी के बर्तन बना रहे कामगार को देख कर आए आईडीए के साथ अब तक यह नौजवान 25 आऊटलैट खोल चुके हैं। जबकि 26वां आऊटलैट चंडीगढ़ में खोल रहे हैं। यह तीन नौजवान अनुभव दुबे, आनंद और राहुल हैं। इस के साथ ही यह भी बड़ी बात है कि अलग अलग फ्लेवर वाली चाय की कीमत सिर्फ 10 रुपए से शुरू हो जाती है। इस अलग प्रयास सम्बन्धित जानकारी सांझी करते हुए अनुभव दुबे ने बताया कि लगभग तीन साल पहले अपनी पढ़ाई पूरी करके हम कुछ नया करने का विचार कर रहे थे। इसी दौरान एक दिन उनकी नज़र मिट्टी के बर्तन बना रहे कामगार पर गई तो उन्होंने मिट्टी के कुल्लड़ कें चाय बना कर बेचने का फैसला किया। हालांकि कि जेब में कोई बहुत बड़ी रकम नहीं थी।
चाय सूटा बार नामक पहली फ्रैं चायज़ी खोलने पर कुछ लोगों ने मज़ाक भी उड़ाया, परन्तु उन्होंने हार नहीं मानी। सिर्फ तीन सालों में ही उन्होंने भोपाल,पूणा, जयपुर, कोटा और मुंबई समेत अन्य शहरों में 25 आऊटलैट चला कर दिए,चंडीगढ़ में 26 वां आऊटलैट शुरू किया है। जब कि अगले आऊटलैट अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाते हुए दुबई और मस्कट में खोल रहे हैं। वहाँ भी लोगों को भारतीय चाय का स्वाद मिट्टी के कुल्लड़ में ही दिया जायेगा।
अनुभव ने बताया कि चाकलेट चाय, रोज़ चाय, पान चाय, ईरानी चाय समेत ओर कई तरह के फ्लेवर के द्वारा लोगों को चाय का स्वाद दे रहे हैं। जब कि चंडीगढ़ के गर्मी और सर्दी के मौसमों के अनुसार कुछ नये फ्लेवर भी जोड़ जाएंगे।
दूसरे पार्टनर आनंद ने बताया कि इन चाय सूटा आऊटलैट में 400 के करीब नौजवान और दिव्याअंग लोग ही काम करते हैं। जब कि मिट्टी के कुल्लड़ वह दस गाँवों के 200 परिवारों से खरीदते हैं, जो कि लगातार उनके लिए मिट्टी के कुल्लड़ बनाते हैं। इस तरह इन नौजवानों ने न सिर्फ चाय बनाने के पेशे को हाई टैक कर दिया बल्कि कई सौ घरों के लिए रोटी का प्रबंध भी किया। इस तरह यह ब्रांड प्रकृति प्रेमी होने साथ साथ लुप्त ओर रहे कुम्हारों के लिए भी संजीवनी बूटी साबित हो रहा है।