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एस्ट्रोलॉजी

कैसा रहेगा लीप का साल ? कैसा रहेगा 29 फरवरी को जन्मे लोगों का हाल ?

February 28, 2020 11:12 AM

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़.9815619620

  वर्ष 2020 वैसे भी 21वीं सदी का खास साल रहेगा। अंकशास़्त्र के अनुसार इस साल का योग 4 है जो राहू का प्रतीक है। यह ग्रह, अस्थ्रिता, अराजकता, अनिश्चतता का द्द्योतक है जिसे हम अपने देश में नागरिकता संशोधन कानून से उत्पन्न अराजकता तथा निर्भया कांड की अनिश्चितता के रुप में देख ही रहे हैं। हालांकि 4 का अंक, विश्व में प्रौद्योगिकी में भी एक बड़ी क्रांति लाएगा।   

यह एक लीप का साल भी है जो 4 साल बाद आता है। कईयों को अपना जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ 4 साल बाद ही मनाने का शुभअवसर प्राप्त होता है। इस साल 2020 में, 29 फरवरी को विवाह का शुभ मुहूर्त नहीं है, फिर भी कुछ लोग विवाह अवश्य कर रहे हैं। जिन शिशुओं का जन्म 29.2.2020 को होगा, उनकीे जन्मतिथि का योग 8 बनेगा जो अंकविद्या में शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है।

यह एक लीप का साल भी है जो 4 साल बाद आता है। कईयों को अपना जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ 4 साल बाद ही मनाने का शुभअवसर प्राप्त होता है। इस साल 2020 में, 29 फरवरी को विवाह का शुभ मुहूर्त नहीं है, फिर भी कुछ लोग विवाह अवश्य कर रहे हैं। जिन शिशुओं का जन्म 29.2.2020 को होगा, उनकीे जन्मतिथि का योग 8 बनेगा जो अंकविद्या में शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। 

इसके अलावा 29 तारीख को दिन भी शनिवार पड़ रहा हैे। शनि अपनी मकर राशि में, गुरु भी स्वराशि धनु में होगा परंतु इस दिन जन्म लेने वाले बच्चे आंशिक कालसर्प योग से प्रभावित होंगे। 29 फरवरी 2020, शनिवार को जन्में बच्चे जीवन में औरों से अलग होंगे और जीवन की उंचाइयों को जल्दी छुएंगे।
जिन लोगों का जन्‍म 29 फरवरी को आता है, वे अपना वास्‍तविक जन्‍मदिन 4 साल में ही एक बार मना पाते हैं। हालांकि सांकेतिक रूप से वे 28 फरवरी को अपना जन्‍मदिन मना लेते हैं लेकिन सरकारी कागजों में, कानूनी दस्‍तावेजों में तो यह 29 फरवरी ही आधिकारिक तिथि के रूप में दर्ज होती है। मजे की बात यह है कि 29 फरवरी को जन्‍मे व्‍यक्ति को अपना वास्‍तविक 25वां जन्‍मदिन मनाने के लिए पूरे 100 साल का होना पड़ेगा। इसी तरह हर साल 28 फरवरी तक काम करके पूरे महीने का वेतन लेने वाले कर्मचारियों को इस महीने एक दिन अतिरिक्‍त काम करना होता है। हालांकि यह 30 और 31 दिनों के महीनों की तुलना में फिर भी एक दिन कम ही होता है।
29 फरवरी को जन्‍मे लोग अपना वास्‍तविक जन्‍मदिन 4 साल में एक बार मना पाते हैं।- इस दिन पैदा हुए लोगों को 25 साल पूरे करने के लिए शतायु यानी सौ वर्ष का होना जरूरी है।
सदी के पहले लीप ईयर 2000 में जो व्‍यक्ति जन्‍मा होगा, वह इस साल अपना चौथा जन्‍मदिन मनाएगा। यानी कहने को वह 20 साल का युवा होगा लेकिन उसकी उम्र महज 4 वर्ष ही आंकी जाएगी।
लीप वर्ष का अतिरिक्त दिन यानी 29 फरवरी बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। इस दिन की उत्पत्ति प्रकृति द्वारा सौर मंडल और उसके नियमों से होती है।
लीप वर्ष हर चार वर्ष के बाद आता है यानी कि हर 4 वर्ष बाद आने वाले वर्ष को लीप वर्ष या अधिवर्ष कहते हैं। इस वर्ष में 365 की जगह 366 दिन होते हैं। लीप ईयर में एक दिन अधिक होता है। दरअसल पृथ्वी को सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन और लगभग 6 घंटे का समय लगता है। इस 6 घंटे के चलते प्रत्येक चार वर्ष में एक दिन अधिक हो जाता है. परिणामस्वरूप प्रत्येक चार वर्ष बाद फरवरी महीने में एक दिन अतिरिक्त जोड़कर इसे संतुलित किया जाता है।
पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365.242 दिन लगते हैं यानी एक कैलेंडर वर्ष से एक चौथाई दिन अधिक। इसे आसान भाषा में कह सकते हैं कि एक सदी में हम 24 दिन आगे निकल जाएंगे। अगर ऐसा हुआ होता तो मौसम को महीने से जोड़ कर रखना बहुत ही मुश्किल हो जाता। यदि इस लीप वर्ष की व्यवस्था को खत्म कर दिया जाए तो मई-जून की सड़ी हुई गर्मी की स्थिति 500 साल बाद दिसंबर महीने में होगी।
लगभग 1500 वर्ष पूर्व भारत के ही गणित ज्योतिषाचार्य भास्कराचार्य ने ठीक-ठीक हिसाब लगा कर बताया था कि पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर एक बार घूमने में 365.258 दिन लगते हैं, जिसे एक वर्ष गिना जाता है. भारत के ही आर्यभट ने शून्य के सिद्धांत की स्थापना की थी जिसने संख्या प्रणाली को अतिरिक्त शक्ति प्रदान की जिसमें उस समय तक केवल 9 अंक ही थे।
शताब्दी साल लीप वर्ष नहीं होते क्योंकि हर चार साल में एक दिन जोड़कर हम सौ साल के काल में काफी ज्यादा जोड़ देते हैं। वास्तव में पृथ्वी सूर्य की प्रक्रिमा 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 45 सेकंड में पूरी करता है तो जब हर चार साल में एक दिन जोड़ा जाता है तब हम एक छोटे से अंतर से अधिक सही संशोधन करते हैं। इसलिए हर 100वें साल पर हम एक दिन साल में से हटा देते हैं। इसी कारण शताब्दी साल जैसे 1700, 1800, 1900, 2100 शताब्दी साल लीप साल नहीं माने जाते।
जैसे 2000 को 4 से डिवाइड किया जा सकता है। इसी तरह 2004, 2008, 2012, 2016 और अब यह नया साल 2020 भी इसी क्रम में शामिल है। दूसरी बात यह कि अगर कोई वर्ष 100 की संख्‍या से डिवाइड हो जाए तो वह लीप ईयर नहीं है लेकिन अगर वही वर्ष पूरी तरह से 400 की संख्‍या से विभाजित हो जाता है तो वह लीप ईयर कहलाएगा। उदाहरण के लिए, 1300 की संख्‍या 100 से तो विभाजित हो जाती है लेकिन यह 400 से विभाजित नहीं हो सकती है। इसी तरह 2000 को 100 से डिवाइड किया जा सकता है लेकिन यह 400 से भी पूरी तरह डिवाइड हो जाता है, इसलिए यह लीप ईयर कहलाएगा।

 
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