- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़, 9815619620
वर्तमान परिस्थितियों में हर उत्सव, पर्व, त्योहार आदि कोरोना, कर्फयु, लॉक डाउन के कारण सार्वजनिक या धार्मिक स्थल की बजाय घर में ही मनाने पड़ रहे हैं जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत आवश्यक हैं। ऐसे में आप घर के पूजा स्थान पर अपने ईष्ट का चित्र या छोटी मूर्ति रख कर आराधना कर सकते हैं। बजरंग बली का प्रकोटत्सव भी आप अपनी श्रद्धा व आस्था के अनुसार इस बार मंदिर की बजाय घर के मंदिर या पूजा स्थान पर मना सकते हैंइन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शंकर सुवन आदि।
भारत में श्री हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती हेै। चैत्र पूर्णिमा तथा कार्तिक चौदस पर। हनुमान जी का जन्म दक्षिण भारत में हुआ था अतः चैत्र मास में वहां इसे और भी उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
पूर्णिमा तिथि- आरंभ - 7 अप्रैल- दोपहर 12 बजे
पूर्णिमा तिथि- समाप्त - 8 अप्रैल- प्रातः 8 बजे
आप अपनी इच्छा व सुविधानुसार 7 व 8 दोनों दिन हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं।
भगवान हनुमान को संकट हरने वाला माना गया है। भगवान हनुमान का दिन मंगलवार माना गया है। इसी दिन इनकी आराधना की जाती है। लेकिन अगर हनुमान जयंती पर ही हम कुछ ऐसे काम करें, जिससे हमारे संकट का जल्द ही निवारण हो।
ऐतिहासिक एवं भौगोलिक आधार के अनुसार हनुमान जी का जन्म वर्तमान कर्नाटक प्रदेश में माना गया है। यों तो हनुमान जी की आराधना संपूर्ण भारत में की जाती है परंतु कर्नाटक में जहां भगवान राम की भेंट हनुमान जी से रामायण काल में हुई थी, वहां के निवासी इन्हें अपना आराध्य मानते हैं। कर्नाटक में लगभग हर वाहन पर हनुमान जी का सिंधूरी रंग का चित्र अंकित मिल जाएगा। भारत में हनुमान जयंती दो बार मनाई जाता है, परंतु 8 अप्रैल को समस्त भारत में मनाई जा रही है।
भगवान हनुमान को संकट हरने वाला माना गया है। भगवान हनुमान का दिन मंगलवार माना गया है। इसी दिन इनकी आराधना की जाती है। लेकिन अगर हनुमान जयंती पर ही हम कुछ ऐसे काम करें] जिससे हमारे संकट का जल्द ही निवारण हो।
नामकरण
इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शंकर सुवन आदि।
हनुमान जयंती भगवान हनुमानजी के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भक्तगण बजरंगबली के नाम का व्रत रखते हैं। प्रत्येक वर्ष हनुमान जयंती चैत्र मास (हिन्दू माह) की पूर्णिमा को मनाई जाती है, हालाँकि कई स्थानों में यह पर्व कार्तिक मास (हिन्दू माह) के कृष्णपक्ष के चौदवें दिन भी मनाई जाती है। • इस दिन हनुमानजी के भक्त अपने आराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते है तथा विधि विधान के साथ उनकी पूजा अर्चना भी करते हैं.
इस दिन भक्त हनुमान जी के साथ साथ श्रीराम व सीता मैया की पूजा भी करते है तथा इस व्रत की ख़ास बात यह है कि इस रात को जमीन पर ही सोने की परम्परा हैं. व्रत की पूर्व रात्रि को ज़मीन पर सोने से पहले भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ हनुमान जी का स्मरण करें।
प्रात: जल्दी उठकर दोबार राम-सीता एवं हनुमान जी को याद करें। जल्दी सबेरे स्नान ध्यान करें।
अब हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें।
इसके बाद, पूर्व की ओर भगवान हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें।
अब विनम्र भाव से बजरंगबली की प्रार्थना करें।
आगे षोडशोपाचार की विधि विधान से श्री हनुमानजी की आराधना करें।
हनुमान जयंती पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड के पाठ को पढ़ना चाहिए। गुड़-चने के प्रसाद का वितरण करना चाहिए। हनुमान चालीसा, रामरक्षा स्तोत्र तथा समस्त हनुमान मंत्र इस दिन सिद्ध होते हैं। हनुमान जी को पान का बीड़ा अवश्य चढ़ाएं। मनोकामना पूर्ति और हर तरह के मंगल के लिए इमरती का भोग लगाना भी शुभ होता है।
माता सीता ने दिया था अमरता का वरदान
रामायण में रावण सीता का हरण करके लंका ले गया था। श्रीराम और पूरी वानर सेना सीता की खोज में लगी हुई थी। तब हनुमानजी समुद्र पार करके लंका पहुंच गए और माता सीता को खोज लिया। लंका की अशोक वाटिका में हनुमानजी और सीता की भेंट हुई थी। उस समय हनुमानजी ने श्रीराम का संदेश देकर माता सीता की सभी चिंताएं दूर की थी। इससे प्रसन्न होकर सीता ने हनुमानजी को अजर-अमर होने का वरदान दिया था। इस वरदान के प्रभाव से हनुमानजी हमेशा जीवित रहेंगे, इन्हें कभी वृद्धावस्था नहीं आएगी। श्री राम की लंबी उम्र के लिए एक बार हनुमानजी ने अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर लगा लिया। इसी कारण उन्हें सिन्दूर चढ़ाया जाता है। हनुमानजी की प्रतिमा पर लगा सिन्दूर अत्यन्त ही पवित्र होता है। भक्तगण प्रायः इस सिन्दूर का तिलक अपने मस्तक पर लगाते हैं। ऐसा माना जाता है, कि इस तिलक के मध्यम से भक्त भी हनुमानजी की कृपा से उनकी ही तरह शक्तिशाली, ऊर्जावान तथा संयमित होजाते हैं।संध्या के समय दक्षिणमुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर हनुमानजी के चमत्कारिक मंत्रों का जाप किया जाए तो यह अति शुभ फलदायी होता है।
हनुमानजी की पूजा में हनुमत कवच मंत्र का जाप अवश्य करें। कवच मंत्र का जाप तुरंत फलदायी होता है। इससे उनका आशीर्वाद मिलता है।
इस कवच का मूल मंत्र है-'ॐ श्री हनुमंते नम:', जिसके 'हं हनुमंते नम:' का पाठ भी अवश्य करें।
पूजा से जुड़ी खास बातें
हनुमान जयंती पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद पूजा करें। हनुमानजी को प्रसाद के रूप में गुड़, नारियल, लड्डू चढ़ाया जाना चाहिए। हनुमानजी की तीन परिक्रमा करने का विधान है। दोपहर में बजरंग बली को गुड़, घी, गेहूं के आटे से बनी रोटी का चूरमा अर्पित किया जा सकता है।
शाम के समय फल जैसे केले, सेवफल आदि का भोग लगाना चाहिए। सुंदरकांड करते समय हनुमानजी को सिंदूर, चमेली का तेल और अन्य पूजन सामग्री भी अर्पित करना चाहिए।
बजरंग बली के श्रृंगार में या चोला चढ़ाते समय तिल के तेल या चमेली के तेल में मिला हुआ सिंदूर लगाना चाहिए। भक्त को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए हनुमान जयंती के दिन हनुमान चालीसा या सुन्दरकांड का पाठ करना चाहिए। हनुमान जी के पाठ से भूत बाधा, प्रेत बाधा, ऊपरी बाधा का निवारण होता है, सर्व कष्टों अर्थात नौकरी, व्यापार में बाधा एवं रोगों का निवारण भी हनुमान जी के पाठ से हो जाता है। यहां पर आज हम आपको हनुमान जयंती के समय कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिसे करने के बाद निश्चित ही आपकी सारी समस्याओं का अंत हो जाएगा।
· हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी के मंदिर जाएं और बजरंगबली का कोई भी सरल मंत्र या हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें।
· हनुमान जी पर गुलाब की माला चढ़ाएं। हनुमान जी को खुश करने का यह सबसे सरल उपाय है।
· हनुमान मंदिर में एक सरसों के तेल का और एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं और हनुमान जी का पाठ करें।
· पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं तो हनुमान जयंती के दिन पीपल के 11 पत्ते पर श्रीराम का नाम लिखें।
· हनुमान जी को विशेष पान का बीड़ा चढ़ाएं। इसमें सभी मुलायम चीजें डलवाएं, जैसे खोपरा बूरा, गुलकंद, बादाम कतरी आदि।
· कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। संकट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा।
· अगर धन लाभ की स्थितियां बन रही हो, किन्तु फिर भी लाभ नहीं मिल रहा हो, तो हनुमान जयंती के दिन गोपी चंदन की नौ डलियां लेकर केले के वृक्ष पर टांग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चंदन पीले धागे से ही बांधना है।
· एक नारियल पर कामिया सिन्दूर, मौली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं। धन लाभ होगा।
· पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। फिर वापस घर आ जाएं एवं पीछे मुड़कर न देखें। धन लाभ होगा।
अपनी राशि के अनुसार हनुमान जी के इन मंत्रो का जाप करें।
मेष- ॐ सर्वदुख हराय नम:
वृषभ- ॐ कपिसेनानायक नम:
मिथुन- ॐ मनोजवाय नम:
कर्क- ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नम:
सिहं- ॐ परशौर्य विनाशन नम:
कन्या- ॐ पंचवक्त्र नम:
तुला- ॐ सर्वग्रह विनाशी नम:
वृश्चिक- ॐ सर्वबंधनविमोक्त्रे नम:
धनु- ॐ चिरंजीविते नम:
मकर- ॐ सुरार्चिते नम:
कुंभ- ॐ वज्रकाय नम:
मीन- ॐ कामरूपिणे नम: