डॉ रेनु अरोड़ा ने सोशल मीडियों के माध्यम से हजारों लोगों से बातचीत की जिनमें अधिकतर महिलाएं थी। आज के दौर में भाग दौड़ की जिंदगी में महिलाओं को भी पुरूषों की जिम्मेदारियों व भावनाओं को उसी प्रकार से तवैजो देनी चाहिए जिस प्रकार पुरूष व समाज महिलाओं की भावनाओं को देता आया है।
पंचकुला , अनुराधा कपूर
पुरुषों की जि़ंदगी भी इतनी आसान नहीं होती जितनी हम समझ लेते हैं कभी नौकरी के बहाने ख्वाहिशों की क़ुर्बानी तो कभी घर की जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपनी ख्वाहिशों की कुर्बानी। यह बात शहर की प्रख्यात मोटिवेशनल स्पीकर डॉ रेनु अरोड़ा ने सोशल मीडिया के माध्यम से कही। उनका कहना है कि पुरूषों की भावना की कदर व इज्जत, मान सम्मान करने से उनमें ऊर्जा का संचार होता है और वे किसी भी काम को करनें में सफलता प्राप्त करते हैं।
डॉ रेनु अरोड़ा ने सोशल मीडियों के माध्यम से हजारों लोगों से बातचीत की जिनमें अधिकतर महिलाएं थी। उन्होंने कहा कि आज के दौर में भाग दौड़ की जिंदगी में महिलाओं को भी पुरूषों की जिम्मेदारियों व भावनाओं को उसी प्रकार से तवैजो देनी चाहिए जिस प्रकार पुरूष व समाज महिलाओं की भावनाओं को देता आया है। एक पुरूष की जि़दगी आसान नही होती वे अपने दिल में भी भावनाओं कासमंदर भरा होता है, उसकी भी भावनाएं होती है, लेकिन वे अपने परिवार की जिम्मेदारियों को बिना कोई किसी से शिकवा करे, सर उठाये निभाता है।
डॉ रेनू ने पुरूषों की भावनाओं को प्रथम रखते हुए बताया कि एक जिम्मेदार पुरूष के कंधे सदैव जिम्मेदारियों से भरे हुए होते हैं और वे अपने परिवार के सुख प्राप्ति के लिए खुद कई बार विभिन्न मानसिक तनावों व शारीरिक दुखों से गुजरता है, ऐसी स्थिति में भी में वे अपने परिवार के सामने हंसमुख चेहरा ही दिखाता है।
उन्होंने कहा कि किसी भी हाल में शांत रहने का हुनर पुरूषों में कमाल होता है, उनमें चीज़ों को सोचने और समझने का नज़रिया भी बेमिसाल होता है, वे छोटी छोटी बातों पर अपना धीरज नहीं खोते, रोते तो पुरूष भी है मगर उसकी सिसकियाँ में आवाज़ नहीं होती, क्योंकि किसी ने कहा है पुरूषों को रोने की इजाज़त नहीं होती।
डॉ अरोड़ा ने सलाह देते हुए कहा कि महिलाओ को पुरुषों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए अपने परिवारजनों से बैठकर उनकी जि़दगी में चल रही परेशानियों की बात करनी चाहिए।