ENGLISH HINDI Sunday, October 26, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
नवाचार और जज़्बे का संगम: बोल्ड फ्रेमी एंटरटेनमैंट के साथ कंवलप्रीत सिंह और रोहित कुमार का ‘11:11’ बना विश्व रिकॉर्डसाहित्य अकादमी द्वारा डीएवी कॉलेज के सहयोग से विचार संगोष्ठी का आयोजनलव जिहाद, धर्मांतरण एवं गौ-हत्या आदि विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक समस्याओं पर चर्चामहिला क्रिकेट विश्वकप: भारत अंतिम चार में, पर अपनी खामियों पर ध्यान देना होगाहिमाचल ने आम जनता की सुविधा के लिए पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह की बुकिंग को किया ऑनलाइन: मुख्यमंत्रीचण्डीगढ़ के सभी संत एवं धार्मिक हस्तियां 24 को एक मंच पर राष्ट्रीय उपभोक्ता न्याय प्रणाली ई-जागृति पोर्टल की राष्ट्रव्यापी प्रणालीगत विफलताश्री हनुमंत धाम में श्री हनुमान जयंती उत्सव 24 से
हिमाचल प्रदेश

कारगिल में पाकिस्तानियों की घुसपैठ का पता सबसे पहले करगिल युद्ध के हीरो सौरभ कालिया ने लगाया था

July 26, 2021 07:06 PM

पालमपुर (विजयेन्दर शर्मा) 

करगिल युद्ध के हीरो कैप्टन सौरभ कालिया के बलिदान को लोग आज भूले नहीं हैं उनके परिजनों ने भी आज आने बेटे की याद में हिमाचल प्रदेष के पालमपुर में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया ।कारगिल युद्ध में शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के परिजन अपने बेटे को सौरभ वन विहार बंदला (पालमपुर) में श्रद्धांजलि दी।

कारगिल में पाक सैनिकों की घुसपैठ की सबसे पहले खबर देने वालों में जाट रेजिमेंट के शहीद कैप्टन सौरभ कालिया कारगिल में पाकिस्तानियों की घुसपैठ का पता कैप्टन सौरभ कालिया और उनकी टीम ने लगाया था।

करीब 22 साल का लंबा इंतजार परिजनों को अपने बेटे से हुई अमानवीय बर्ताव पर इंसाफ नहीं दिला सका अब उनकी इंसाफ मिलने की आस खत्म होती नजर आ रही है। भले ही इस बहादुर बेटे को हर साल याद किया जाता है

विडंबना का विषय है कि कैप्टन सौरभ कालिया की शहादत शायद देश भुला चुका है। यही वजह है कि अपने बेटे के इंसाफ मांग रहे बुजुर्ग होते माता-पिता दर-दर भटक रहे हैं। ठोस प्रमाण के बावजूद सरकार आज तक शांत है और यह दुःख की बात है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने विपक्ष में रहते हुए इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन सत्ता में रहने पर उनकी राजनीति व कार्यनीति में अंतर साफ नजऱ आता है। हैरानी की बात तो यह है कि सौरभ कालिया का नाम सीमा पर जान गंवाने वाले शहीदों की सूची में भी शामिल नहीं है।

प्रदेश के कांगड़ा जिला के वीर सपूत सौरभ कालिया को कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने कैप्टन सौरभ कालिया को युद्ध क्षेत्र से पकडऩे के बाद उन्हें न केवल बंदी बनाया बल्कि उन्हें क्रूरतापूर्ण अमानवीय यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा। पाकिस्तान के सैनिकों ने बाद में कैप्टन कालिया के क्षत-विक्षत शरीर को उनके परिवार को भेज दिया था।

पंजाब के अमृतसर में 29 जून 1976 को जन्मे कैप्टन सौरभ कालिया की मां विद्या व पिता एन के कालिया हैं। उन्होंने कांगड़ा जिला के पालमपुर में डीएवी स्कूल व पालमपुर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने के बाद 1997 में सेना में कमीशन हासिल किया। अपनी छोटी सी उम्र में उन्होंने अपने अदम्य साहस व वीरता का परिचय देकर नया इतिहास रचा।

सौरभ कालिया भारतीय सेना की चार -जाट रेजीमेंट के अधिकारी थे। उन्होंने ही सबसे पहले कारगिल में पाकिस्तानी सेना के नापाक इरादों की सेना को जानकारी मुहैया कराई थी। कारगिल में अपनी तैनाती के बाद सौरभ कालिया 5 मई 1999 को वह अपने पांच साथियों अर्जुन राम, भंवर लाल, भीखाराम, मूलाराम, नरेश के साथ लद्दाख की बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग कर रहे थे, तभी पाकिस्तानी सेना ने सौरभ कालिया को उनके साथियों सहित बंदी बना लिया।

करीब 22 दिनों तक इन्हें पाकिस्तानी सेना ने बंदी बनाकर रखा गया और अमानवीय यातनाएं दीं । उनके शरीर को गर्म सरिए और सिगरेट से दागा गया। आंखें फोड़ दी गईं और निजी अंग काट दिए गए। पाकिस्तान ने इन शहीदों के शव 22-23 दिन बाद 7 जून 1999 को भारत को सौंपे थे।

भारत ने 13 मई 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा अपने इन बहादुर जवानों को बंदी बनाए जाने व उनकी नृशंस हत्या किए जाने के एक दिन बाद 14 मई 1999 को उन्हें मिसिंग घोषित किया था।

हिमाचल प्रदेष के जिला कांगडा के पालमपुर में कैप्टन कालिया की शहादत को सम्मान देने के लिए पालमपुर नगर के निकट खूबसूरत न्यूग्ल खड्ड के साथ आर्कषक स्मारक बनाया गया है। यहां पर पर्यटकों को जहां कारगिल युद्व से जुड़ी जानकारी मिलती है वहीं यह एक ऐसा स्थल बन कर उभरा है जहां पर परिवार के साथ आकर समय बिताना हरेक व्यक्ति पंसद करता है। खूबसूरत झील, एकवेरियम, सैनिकों के स्टैच्यू, हरे-भरे पेड़-पौधों से युक्त स्थल, शहीद स्मारक, रेस्टोरेंट आदि ऐसी सुविधाएं यहां पर जोड़ी गई है जहां पर दिनभर पर्यटक रहना पंसद करते है। इतना ही नहीं अब यहां पर कुछ युवाओं ने रोमांचक खेलों को भी आरम्भ किया है।

विडंबना का विषय है कि कैप्टन सौरभ कालिया की शहादत शायद देश भुला चुका है। यही वजह है कि अपने बेटे के इंसाफ मांग रहे बुजुर्ग होते माता-पिता दर-दर भटक रहे हैं। ठोस प्रमाण के बावजूद सरकार आज तक शांत है और यह दुःख की बात है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने विपक्ष में रहते हुए इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन सत्ता में रहने पर उनकी राजनीति व कार्यनीति में अंतर साफ नजऱ आता है। हैरानी की बात तो यह है कि सौरभ कालिया का नाम सीमा पर जान गंवाने वाले शहीदों की सूची में भी शामिल नहीं है।

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें
 
और हिमाचल प्रदेश ख़बरें
हिमाचल ने आम जनता की सुविधा के लिए पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह की बुकिंग को किया ऑनलाइन: मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने बालिका आश्रम और नारी सेवा सदन में मिठाई और उपहार बांटे, टूटीकंडी बाल आश्रम में बच्चों के साथ दीपोत्सव भी मनाया हिमाचल ने जीती महत्त्वपूर्ण कानूनी लड़ाई, वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति से मिलेंगे 401 करोड़ रुपये 48 घंटे में ही मुख्यमंत्री भूले स्व. वीरभद्र सिंह का सबक, 28 स्कूलों को लगाया ताला : जयराम ठाकुर हिमाचल के साथ केंद्र सरकार का सौतेला व्यवहारः प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी ने किया पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा का अनावरण सोलन के वाकनाघाट में बनेगी साईबर सिटी: मुख्यमंत्री राज्यपाल ने अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव की सांस्कृतिक संध्या का किया शुभारम्भ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का शुभारम्भ, दशहरा पर्व आस्था, एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीकः शिव प्रताप शुक्ल हिमाचल को आधार फेस ऑथेंटिकेशन नवाचार के लिए राष्ट्रीय सम्मान हिमाचल सेब और नाश्पाती की खेती के लिए न्यूजीलैंड के साथ सहभागिता पर कर रहा विचार