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हिमाचल प्रदेश

भाजपा ने हमेशा इस जनजातीय क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार किया: कांग्रेस

July 29, 2021 10:07 PM

धर्मशाला (विजयेन्दर शर्मा)

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के महासचिव और लाहौल-स्पीती कांग्रेस के प्रभारी महेश्वर चौहान ने कहा की पिछले कई दिनों से प्रदेश के कई हिस्सों में भारी वर्षा ,बादल फटने और भूस्खलन के कारण भारी नुक़सान हुआ है और कई लोगों की जानें गयी है ।कांग्रेस पार्टी सभी पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करती है और संकट की इस घड़ी में उनके साथ है।

उन्होंने कहा कि लाहौल-स्पीती में भी इसी तरह के दर्दनाक हादसे में कई लोगों की जान गयी,कई सड़के और पुल टूट गए है टेलिफ़ोन लाइने टूटने के कारण दूरभाष पे भी सम्पर्क मुश्किल हो रहा है ।उन्होंने सरकार से गुहार लगाई की युद्ध स्तर पर मलबे में फंसे लोगों को निकालने का का काम किया जाए और जल्द से जल्द क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों को ठीक किया जाए ।उन्होंने माँग की सरकार हवाई सर्वेक्षण से वास्तुस्थिति का आँकलन करके तुरंत इस कार्य को गति दें।क्यूँकि इस समय वहाँ पर फसल तैयार हो चुकी है और यदि इसे समय रहते मंडी में नहीं पहुँचाया गया तो ये नष्ट हो जाएगी और किसानो को भारी नुक़सान उठाना पड़ेगा।
महेश्वर चौहान ने कहा कि भाजपा ने हमेशा इस जनजातीय क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार किया है आज यहाँ के लोगों को सरकार की मदद की दरकार है परंतु सरकार उपचुनावों के प्रचार में व्यस्त है ।एक तरफ़ मुख्यमंत्री जी बड़ी बड़ी जनसभाएँ करके मंडी लोकसभा उपचुनावों के किए वोट माँग रहे है और भाजपा के लिए आगामी उपचुनावों में समर्थन जुटा रहे है वहीं दूसरी तरह करोना का बहाना लगाकर भाजपा सरकार ने लाहौल-स्पीती के निर्वाचित पंचायतीराज संस्थानों को बर्खास्त करके चुने हूँ जनप्रतिनिधियों की जगह सरकारी अधिकारियों की कमेटियाँ बनाकर लोकतंत्र का अपमान किया है । इस जनजातीय क्षेत्र के पंचायतीराज संस्थानों के साथ इस तरह का पक्षपातपूर्ण रवैया किसी सूरत में बर्दाश्त के काबिल नहीं है ।

महेश्वर चौहान ने कहा कि हिमाचल सरकार ने जब लोकसभा और विधानसभा के उपचुनावों के लिए चुनाव आयोग को अपनी मंज़ूरी दे दी तो पंचायती राज चुनावों को करोना की आड़ में टालना तर्कसंगत नहीं है।क्या लाहौल स्पीती मंडी लोकसभा का हिस्सा नहीं है ? जब प्रदेश में लोकसभा और विधान सभा के चुनाव हो सकते है तो पंचायती राज के चुनाव क्यूँ नहीं हो सकते ? सरकार तुरंत इस तरह के दोहरे मापदंड की नीति को बंद करे और पंचायती राज के निर्वाचित संस्थानों को धराशायी करके इस ग्रामीण जनजातीय क्षेत्र के विकास में बाधा ना बने।

 
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