एक करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ, 400 लोगों के बैठने की है क्षमता
विजयेन्दर शर्मा/ज्वालामुखी
ज्वालामुखी के लोरेट फार्मेसी कालेज करीब एक करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से बनकर तैयार आधुनिक सुविधाओं से लैस ऑडिटोरियम का उद्घाटन लोरेट एजूकेशन सोसाइटी की सचिव डॉक्टर श्रीमती मीरा सिंह ने किया। इसमें करीब 400 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। और आने वाले दिनों में इसमें विस्तार करने की योजना भी है। इसमें संस्थान के अलावा बाहरी लोग भी अपने कार्यक्रम करवा सकेंगे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि 15 साल के लंबे सफर में संस्थान ने भले ही कई उतार चढाव देखें हों। लेकिन संस्थान ने हमेशा ही क्वालिटी एजुकेशन को ही अपना एकमात्र ध्येय रखा है। और इसी वजह से आज पूरे उत्तरी भारत में इस फार्मेसी कालेज का अपनी एक पहचान है। शिमला और ज्वालामुखी में संस्थान के पांच शैक्षणिक संस्थान चल रहे है। जहां बेहतरीन शिक्षा छात्ऱों को दी जा रही हे। उन्होंने छात्रों से अपना लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ने का मंत्र देते हुये कहा कि हमेशा ही छात्र जीवन में सपने ऊँचे होने चाहिये।डाक्टर श्री मति मीरा सिंह ने कहा कि बदलते युग में फार्मा सेक्टर लोगों के स्वास्थ्य के साथ अभिन्न रूप से जुड़ गया है इस समय तेजी से बढ़ रहे हेल्थकेयर सेक्टर में फार्मा क्षेत्र अग्रणी है। कोविड-19 संकट हो या कि सामान्य समय, असाधारण रोगों, आपदाओं या स्वास्थ्य रक्षा के लिए फार्मा सेक्टर की जरूरत कभी खत्म नहीं होने वाली है और वर्तमान स्थितियां चिकित्सीय परीक्षणों और दवाई उत्पादन के एक नए दौर की शुरुआत के तौर भी देखी जा रही हैं।
उन्होंने 15 साल पहले अपनी बैंकाक यात्रा को स्मरण करते हुये बताया कि उस समय प्रदेश में फार्मेसी पाठ्यक्रम ही नहीं था। लेकिन आज हालात बदले हैं। आज भारत वैश्विक स्तर पर फार्मा सेक्टर के लिए कुशल लोगों को उपलब्ध कराने वाले अग्रणी देशों में दूसरे नंबर पर है। यानी इस सेक्टर को अपनाने का एक अर्थ यह भी है कि कुशल युवा के लिए संभावनाएं विश्व में कहीं भी उपलब्ध रहेंगी। यहां हर किसी के लिये बेहतरीन अवसर है।
डाक्टर श्री मति मीरा सिंह ने कहा कि बदलते युग में फार्मा सेक्टर लोगों के स्वास्थ्य के साथ अभिन्न रूप से जुड़ गया है इस समय तेजी से बढ़ रहे हेल्थकेयर सेक्टर में फार्मा क्षेत्र अग्रणी है। कोविड-19 संकट हो या कि सामान्य समय, असाधारण रोगों, आपदाओं या स्वास्थ्य रक्षा के लिए फार्मा सेक्टर की जरूरत कभी खत्म नहीं होने वाली है और वर्तमान स्थितियां चिकित्सीय परीक्षणों और दवाई उत्पादन के एक नए दौर की शुरुआत के तौर भी देखी जा रही हैं।
पिछले वर्ष भारत ने कई देशों में दवाइयों का निर्यात करके दुनिया में खुद को फार्मेसी हब के रूप में स्थापित भी किया है। आने वाले दिनों में इसी सेक्टर में बेहतरीन अवसर उपलब्ध होंगे। इस अवसर पर कॉलेज के एम डी डाक्टर रण सिंह , प्राचार्य एम एस अशावत , वाईस प्रिंसिपल विनय पंडित ने भी अपने विचार रखे।