ENGLISH HINDI Friday, November 07, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
दलते मौसम में पक्षियों को बर्ड हाउस के रूप में बसेरा, वर्कशॉप का आयोजनगवर्नमेंट मॉडल हाई स्कूल पॉकेट नं 8 में लिटरेरी फेस्ट का आयोजनकांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 460 करोड़ रुपये वितरित, 1899 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि शीघ्र की जाएगी वितरितविदेश भेजने के नाम पर 100 से ज्यादा लोगो से ठगी, पंचकूला पुलिस ने अंतर्राज्यीय गैंग के मास्टरमाइंड समेत तीन आरोपी किए गिरफ्तार साध्वी ऋतंभरा जी का जीवन त्याग, तपस्या और अटूट संकल्प का प्रतीक : नायब सिंह सैनीश्री रेणुका जी झील पर प्रतिदिन आरती की पहल सराहनीयः राज्यपालमुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने कर्नल तेजेंद्र सिंह के निधन पर शोक व्यक्त कियाचैंपियंस क्रिकेट एकेडमी खरड़ और एच.के.क्रिकेट एकेडमी लुधियाना फाइनल में
कविताएँ

शिव पराकाष्ठा हैं

February 15, 2023 11:19 AM

शिव पराकाष्ठा हैं।

राग की, वैराग्य की।
स्थिरता की, दृढ़ता की।
ध्यान की, विज्ञान की।
ज्ञान के प्रकाश की।।
वे समेटे हैं।
प्रेम को, क्रोध को।
शांति को, भ्रांति को।
त्याग को, विश्वास को।
भक्ति को, शक्ति को।।
शिव स्त्रोत हैं।
प्राण का, प्रमाण का।
धर्म का, कर्म का।
आचार का, विचार का ।
अंधकार के विनाश का।।
उनमे समाए हैं।
गीत भी, संगीत भी।
विष भी, अमृत भी।
समय भी, विनय भी।
आरम्भ भी अंत भी।।
लोग कहते है, शिव संहारक हैं,
वो संहार करते हैं,अंत करते हैं।
परंतु वह भूल जाते हैं कि
शंकर अंत करके एक नई शुरुआत का आरम्भ करते हैं।
वे सृजन भी करते हैं, संहार भी करते हैं।
ज़रूरत पड़ने पर चमत्कार भी करते हैं।
शिव ब्रह्मा भी हैं वेद भी।
जीवन का हैं भेद भी ।
शिव नारी भी हैं, पुरुष भी।
माया भी हैं, मोक्ष भी।।
वो निर्गुण भी हैं, सगुण भी।
सात्विक भी है, तामसिक भी।
ध्वनी भी हैं, दृष्टि भी।
श्वास भी हैं, मुक्ति भी।।
वो साधन भी हैं साधना भी।
चिंता भी हैं, और चिंतन भी।
वो अंदर भी हैं, बाहर भी।
और मुझ में भी हैं, तुझ में भी।।

— मेधावी महेंद्र

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें