अबोहर, फेस2न्यूज ब्यूरो:
ब्रह्माकुमारीज और भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जलाए जा रहे जल जन अभियान का वर्चुअली शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जल जन अभियान ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब पानी की कमी को पूरे विश्व में जल संकट के रूप में देखा जा रहा है। जल संकट को पूरी दुनिया गंभीरता से समझ रही है। वॉटर सिक्योरिटी हमारे लिए सबसे बड़ा दायित्व है। जल रहेगा तभी कल रहेगा। इसके लिए हमें मिलकर आज से ही प्रयास करना होंगे। ब्रह्माकुमारीज के इस जल जन अभियान और भागीदारी के प्रयास से नई ताकत मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है मां आपो हिंसी अर्थात् हम जल को नष्ट न करें। उसका संरक्षण करें। यह भावना हमारे यहां वर्षों से आध्यात्म और धर्म का हिस्सा है। इसलिए हम जल को देव की संज्ञा देते हैं और प्रकृति को मां मानते हैं। आज हम भविष्य की चुनौतियों के समाधान खोज रहे हैं तो हमें अतीत की उस चेतना को भी पुन: जागृत करना होगा। हमें देशवासियों में जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति फिर से वैसी ही आस्था पैदा करना होगी। हमें उस विकृति को भी दूर करना होगा जो जल प्रदूषण कारण बनती है। इस कार्य में ब्रह्माकुमारीज सहित अन्य आध्यात्मिक संस्थाओं की बड़ी भूमिका है। देश के प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर का निर्माण जल संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम है। हमारे देश में जल जैसे कार्य का नेतृत्व माताओं के हाथों रहा है। इस दिशा में अब ब्रह्माकुमारी बहनों भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही हैं।
मोदी ने कहा कि बीते वर्षों में ऐसी नकारात्मक सोच बन गई थी कि हम जल संरक्षण जैसे बड़े कार्य को कर ही नहीं सकते हैं। आज न केवल गंगा साफ हो रही है बल्कि उसकी सहायक नदियां भी साफ हो रही हैं। नमामि गंगे अभियान मॉडल बनकर उभर रहा है। जल प्रदूषण की तरह गिरता भूजलस्तर भी गंभीर विषय है। ब्रह्माकुमारी बहनों से आह्नान किया कि आप ज्यादा से ज्यादा किसानों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करें। भारत की पहल को पूरा विश्व इंटरनेशनल मिलिट्स ईयर भी मना रहा है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि हम बारिश के पानी से मात्र 300 मिलियन क्यूबिक मीटर ही रोक पा रहे हैं। वर्तमान में देश में 750-800 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता है। पचास साल पहले हमारे देश में प्रत्येक व्यक्ति के लिए पांच हजार क्यूबिक मीटर पानी उपयोग के लिए उपलब्ध रहता था जो आज घटकर 1500 क्यूबिक मीटर रह गया है।