नई दिल्ली, फेस2न्यूज:
सीबीआई ने शराब घोटाला मामले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से 8 घंटे की लंबी पूछताछ की। इसके बाद शाम 7:15 बजे अरेस्ट कर लिया। उन्हें आईपीसी की धारा 120-B (आपराधिक साजिश), 477-A (धोखाधड़ी करने का इरादा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-7 के तहत गिरफ्तार किया गया है।
इन धाराओं में कितनी सजा का प्रावधान:
धारा 120-B के तहत छह महीने से अधिक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-7 में अधिकतम पांच साल और कम से कम 6 महीने की कैद और जुर्माने का प्रावधान और आईपीसी की धारा 477-A में 7 साल की कैद या जुर्माने या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई लोकसेवक पद पर रहते हुए वैध पारिश्रमिक के अलावा कोई परितोषण या इनाम लेता है तो इसके तहत दंडनीय होगा।
इन पर सिसोदिया कोई जवाब नहीं दे सके:
सूत्रों का कहना है कि सीबीआई ने घोटाला मामले में पूछताछ के दौरान उनके खिलाफ कई सबूत रखे। इसमें कुछ दस्तावेज और डिजिटल एविडेंस थे। इन पर सिसोदिया कोई जवाब नहीं दे सके। इतना ही नहीं सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को सबूतों को नष्ट करने का भी आरोपी पाया है। इसमें उनकी मिलीभगत सामने आई है।
मामले में उस ब्यूरोक्रैट का बयान बेहद अहम है, जिसने सीबीआई को दिए अपने बयान में कहा था कि एक्साइज पॉलिसी तैयार करने में सिसोदिया ने अहम भूमिका निभाई थी और जीओएम के सामने आबकारी नीति रखने से पहले कुछ निर्देश भी दिए गए थे।
सिसोदिया ने कहा "मुझे नहीं पता"
ये बात भी सामने आई है कि सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। शराब नीति में कुछ ऐसे प्रावधान जोड़े गए थे जो पहले मसौदे का हिस्सा ही नहीं थे। इस पर सिसोदिया ये नहीं बता सके कि उन प्रावधानों को कैसे शामिल किया। इतना ही नहीं इस बारे में आबकारी विभाग में हुई चर्चा या फाइलों का कोई रिकॉर्ड भी नहीं था। ज्यादातर सवालों के जवाब में सिसोदिया ने कहा "मुझे नहीं पता"।
आबकारी विभाग में काम करने वाले एक अधिकारी के बयान ने ड्राफ्ट को बदलने में सिसोदिया की भूमिका का खुलासा किया है। वहीं, जब्त किए गए डिजिटल साक्ष्यों की फॉरेंसिक जांच से पता चला है कि ये प्रावधान व्हाट्सएप पर एक अधिकारी द्वारा प्राप्त किए गए थे।
गिरफ्तारी को लेकर सीबीआई का बयान:
सिसोदियो की गिरफ्तारी को लेकर सीबीआई ने कहा कि नई आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं के मामले की जांच के लिए उपमुख्यमंत्री और प्रभारी आबकारी मंत्री व 14 अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इसमें मुंबई की एक निजी कंपनी के तत्कालीन सीईओ व 6 अन्य लोगों के खिलाफ 25 दिसंबर 2022 को आरोप पत्र दाखिल किया गया।
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डिप्टी सीएम को 19 फरवरी 2023 को जांच में सहयोग करने के लिए सीआरपीसी की धारा 41-A के तहत नोटिस जारी किया गया था। हालांकि उन्होंने व्यस्तता का हवाला देते हुए एक सप्ताह का समय मांगा। उनके अनुरोध पर फिर नोटिस जारी किया गया। हालांकि, इस दौरान उन्होंने टालमटोल भरे जवाब दिए और जांच में सहयोग नहीं किया। इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है।