फाजिल्का, फेस2न्यूज:
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तक नववर्ष का उत्सव कब और क्यों प्रदान कर भारतीय नववर्ष की शुभकामनाएं दीं। स्वामी जी के साथ फाजिल्का के प्रमुख समाजसेवी लीलाधार शर्मा,भरत राजदेव, संदीप खुराना,असीम ग्रोवर और पवन कुमार भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर स्वामी धीरानन्द जी ने कहा कि यदि जापान अपनी परंपरागत तिथि पर अपना नववर्ष मना सकता है यदि म्यांमार, ईरान और कंबोडियन लोग अपने-अपने नववर्ष बना सकते हैं तो फिर हम भारतवासी अपने स्वदेशी पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को अपना नववर्ष क्यों नहीं मना सकते? संस्कृति एक राष्ट्र की मौलिक पहचान होती है। यदि वह जीवंत रहे तो वह राष्ट्र विश्व के विराट मंच पर अपना एक विशिष्ट स्थान बनाए रख सकता है।
भारत की संस्कृति ही इतनी ओजस्वी है जिसके कारण सदियों से उसकी एक अनोखी छवि रही है। विश्व की आंखों ने उसे सदा प्रशंसनीय दृष्टि से निहारा है। इसलिए जरूरी है अपनी वही पुरातन शाही गरिमा को पहचाना जाए। भारतीय संस्कृति के हिसाब से नववर्ष मनाना इसी प्रयास की एक कड़ी होगी। भारतीय नववर्ष एवं चैत्र नवरात्रों के उपलक्ष्य में कमरे वाला रोड़, जलालाबाद सत्संग आश्रम में आरती पूजन का कार्यक्रम किया गया। स्वामी धीरानंद जी ने उपस्थित सदस्यों को भारतीय नववर्ष की शुभकामनाएं प्रदान की एवम् जनकल्याण की प्रार्थना की।