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कविताएँ

मां भारती

August 14, 2020 09:16 AM

— रोशन
मां है ये भारती
काम है सबके सारती
लेती है सदा बलैइयां
बिगड़े काम संवारती
उतारें हम—सब
मिलकर इसकी आरती
भारती मां भारती
स्नेह से निहारती
पूत इसके तने खड़े
सजग प्रहरी पहरे पे खड़े
पर्वत से हैं अड़े
जां भी कर देते न्यौछावर
जब पुकारती मां भारती

जब जब
सीमा पर दुश्मनों ने
सीमा के अंदर गद्दारों ने
ललकारा है
मां भारती के सपूतों ने
उन्हें संहारा है
क्या बिगाड़ेगा इसका कोई
इसके सिंहों की गर्जना दहाड़ती
चक्रवर्ती विश्वजयी सपूतों की
मातृभूमि नहीं हारती
सबका मान भारती
सम्मान भारती
भारती मां भारती
स्वीकार हो नमन
मेरा मां भारती

 
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