ENGLISH HINDI Wednesday, April 30, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
पहलगाम नरसंहार: कुमाऊं सभा ने कैंडल मार्च निकाल दी शहीदों को श्रद्धांजिलीआईओएल में गैस रिसाव, एक की मौत, तीन घायलचिकित्सा विशेषज्ञों के स्टाइपंड में 170 प्रतिशत तक की वृद्धि, स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाएभारत-पाक सरहद पर रिट्रीट सेरेमनी पर भारतीय जवानों का जोश देख पाकिस्तानियों में बेचैनीविश्व मलेरिया दिवस पर लोगों को किया गया जागरूक पहलगाम में 'पर्यटकों' पर हुए आतंकी हमले के विरोध में कैंडल मार्च निकाला‘‘दिलों का रास्ता क्या ख़ाक ये गूगल बताएगा’’मुख्यमंत्री ने पंचायतों को दी 368 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की सौगात, पंचकूला में मनाया गया राज्य स्तरीय ग्राम उत्थान समारोह
कविताएँ

माँ

May 13, 2018 12:09 PM

-शिखा शर्मा

धुंए की तरह उड़ा दे
सारी परेशानियां
"माँ" की इस कदर
बरसती है मेहरबानिया।

बार-बार निहारने के बाद
खुद पर वहम करे
माँ" काला टीका लगाकर
नज़र उतारने के सौ-सौ टोटके करे।

अपना पेट काटकर
बच्चों का पेट पालती है
"माँ" अबला होकर भी
सब संभालती है।

"माँ" थप्पड़ मार कर भी
हंसा देती है
"माँ" अपना रंग, रूप,
यौवन सब भुला देती है

हो दुःखी फिर भी
खुशियों का ढोंग करती है
"माँ" के पैरों में छाले हो
फिर भी हँसती है।

मन्नतों की डोर जब
टूट कर बिखर जाती है
"माँ" के टूटे पल्लू के आगे
ईश्वर की मर्जी बदल जाती है

धरती पर साँसों की माला
जब खत्म हो जाती है
"माँ" तब भी आसमां से
दौर दुआओं का जारी रखती है

शब्द भी खुश हो जाता है
एक मात्रा जोड़कर जब
"माँ" बन जाता हैं।

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें