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संपादकीय
एक तरफ किसानों से बातचीत तो दूसरी और किसानों पर अद्वितीय गोलाबारी क्या यह है 2024 के बाद का भारत

दो साल पहले, हजारों भारतीय किसान तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में नई दिल्ली में एकत्र हुए थे, जिनका उद्देश्य भारत के कृषि उद्योग को नियंत्रणमुक्त करवाना और इसे मुक्त-बाजार ताकतों के लिए खोलना था। 

एक तरफ किसानों से बातचीत तो दूसरी और किसानों पर अद्वितीय गोलाबारी क्या यह है 2024 के बाद का भारत

दो साल पहले, हजारों भारतीय किसान तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में नई दिल्ली में एकत्र हुए थे, जिनका उद्देश्य भारत के कृषि उद्योग को नियंत्रणमुक्त करवाना और इसे मुक्त-बाजार ताकतों के लिए खोलना था। 

एक तरफ किसानों से बातचीत तो दूसरी और किसानों पर अद्वितीय गोलाबारी क्या यह है 2024 के बाद का भारत

दो साल पहले, हजारों भारतीय किसान तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में नई दिल्ली में एकत्र हुए थे, जिनका उद्देश्य भारत के कृषि उद्योग को नियंत्रणमुक्त करवाना और इसे मुक्त-बाजार ताकतों के लिए खोलना था। 

वाहन बीमा पॉलिसी में दुर्घटना में मृत्यु ही नहीं बल्कि अपंगता लाभ भी मांगो

यदि अदालतें इन परिस्थितियों में भी उनके मुआवजे में कंजूसी करेंगी तो ये घायल पीड़ित के लिए अपमान के समान परिणामी है।

कुछ याद उन्हें भी कर लो वसंत पंचमी इतिहास के झरोखों से लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट अपनाएं और प्रॉपर्टी पर किरायेदारों के अनुचित दावे से बचें वाहन बीमा पॉलिसी में दुर्घटना में मृत्यु ही नहीं बल्कि अपंगता लाभ भी मांगो वसंत पंचमी इतिहास के झरोखों से कृषि कानून वापस कैसे हो भाई- आगे है कुआं तो पीछे खाई याचना नहीं, अब रण होगा, जीवन-जय या कि मरण होगा किसान त्रस्त - सरकारें मस्त सरकारों को क्यों सुनाई नहीं देता धरतीपुत्र का आर्तनाद आयकर विभाग का इंस्टेंट पैन कार्ड सुविधा में एक पेंच, जनता परेशान दिल्ली में क्यों बढ़ जाता है अक्टूबर से ही प्रदूषण? पराली ही नहीं अन्य फैक्टर भी हैं जिम्मेदार मौत में अपना अस्तित्व तलाशता मीडिया मां भारती सुशांत राजपूत की मौत का रहस्य— हत्या या आत्महत्या? हमारे जीवन, जीवनशैली और रोज़गार से कम-से-कम संसाधनों का दोहन हो बिहार रेजीमेंट के शूरवीरों ने कैसे चीनियों की पिटाई, बौनों को बौनी क्षमता का करवाया अहसास जंगल के नियम बनाम इंसाफ का तकाजा अच्छे दिन बनाम भुखमरी कोरोना या कादर का कहिर क्या सुप्रीम कोर्ट सिर्फ रसूखदारों की सुनती है आम जनता की नहीं? इरफान के विवेक_की पराकाष्ठा को परख गई प्रकृति प्राकृतिक सम्पदा संभालने का सुनहरा अवसर लॉक डाउन में प्रीपेड मोबाइल को वैलिडिटी एक्सटेंशन का लाभ डी टी एच उपभोक्ता को क्यो नहीं श्रापित दुनिया की ठेकेदार पांच महाशक्तियां सवालों के घेरे में पुत्रमोह मे फँसे भारतीय राजनेता एवं राजनीति, गर्त मे भी जाने को तैयार पवित्रता की याद दिलाती है ‘राखी’ करीब 50 गाँव के बीच में एक आधार केंद्र परबत्ता, 2-3 चक्कर से पहले पूरा नहीं होता कोई काम अपने हृदय सम्राट, पुण्यात्मा, समाज सुधारक स्व: सीताराम जी बागला की पुण्यतिथि पर नतमस्तक हुए क्षेत्रवासी क्या चुनावों में हर बार होती है जनता के साथ ठग्गी?