ENGLISH HINDI Saturday, October 18, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
राह की माटी पे कदमों के निशां बनते रहे असम में पत्रकारों पर हमलों को लेकर प्रेस एम्बलम कैंपेन ने जताई गहरी चिंता, दोषियों पर कार्रवाई की माँगरयात बाहरा विश्वविद्यालय में निवेशक जागरूकता कार्यक्रम ने छात्रों को सशक्त बनायाआ रहे हैं वो मेरे साईं...विश्व को दिशा देने में सक्षम है ब्रह्माकुमारी मिशन : ज्ञान चंद गुप्ताहिमाचल ने जीती महत्त्वपूर्ण कानूनी लड़ाई, वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति से मिलेंगे 401 करोड़ रुपये48 घंटे में ही मुख्यमंत्री भूले स्व. वीरभद्र सिंह का सबक, 28 स्कूलों को लगाया ताला : जयराम ठाकुरप्रगतिशील किसान चौधरी विनोद ज्याणी को प्रधानमंत्री ने किया सम्मानित
कविताएँ

शिव पराकाष्ठा हैं

February 15, 2023 11:19 AM

शिव पराकाष्ठा हैं।

राग की, वैराग्य की।
स्थिरता की, दृढ़ता की।
ध्यान की, विज्ञान की।
ज्ञान के प्रकाश की।।
वे समेटे हैं।
प्रेम को, क्रोध को।
शांति को, भ्रांति को।
त्याग को, विश्वास को।
भक्ति को, शक्ति को।।
शिव स्त्रोत हैं।
प्राण का, प्रमाण का।
धर्म का, कर्म का।
आचार का, विचार का ।
अंधकार के विनाश का।।
उनमे समाए हैं।
गीत भी, संगीत भी।
विष भी, अमृत भी।
समय भी, विनय भी।
आरम्भ भी अंत भी।।
लोग कहते है, शिव संहारक हैं,
वो संहार करते हैं,अंत करते हैं।
परंतु वह भूल जाते हैं कि
शंकर अंत करके एक नई शुरुआत का आरम्भ करते हैं।
वे सृजन भी करते हैं, संहार भी करते हैं।
ज़रूरत पड़ने पर चमत्कार भी करते हैं।
शिव ब्रह्मा भी हैं वेद भी।
जीवन का हैं भेद भी ।
शिव नारी भी हैं, पुरुष भी।
माया भी हैं, मोक्ष भी।।
वो निर्गुण भी हैं, सगुण भी।
सात्विक भी है, तामसिक भी।
ध्वनी भी हैं, दृष्टि भी।
श्वास भी हैं, मुक्ति भी।।
वो साधन भी हैं साधना भी।
चिंता भी हैं, और चिंतन भी।
वो अंदर भी हैं, बाहर भी।
और मुझ में भी हैं, तुझ में भी।।

— मेधावी महेंद्र

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें