ENGLISH HINDI Friday, September 19, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
एएमएम-37 में मनाया गया सेवा पखवाड़ा: संजय टंडन ने पौधारोपण किया व टीबी की किटें बांटीपर्यटन और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए आतिथ्य क्षेत्र में मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्ट-अप योजना को मंजूरीभाजपा नेताओं की आपदा के समय राजनीतिक लाभ के लिए बयानबाजी भ्रामक : नरेश चौहान करदाताओं के लिए प्रदेश सरकार की “वन टाइम सेटलमेंट स्कीम, 2025” का लाभ उठाने का है अंतिम मौकाग़ज़लप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्षगाँठ पर एएमएम-37 में पौधारोपण व आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक शिविर आयोजितजीरकपुर ज्योतिष सम्मेलन में लोगों ने जाना समस्याओं का समाधानसुई-धागा बूटीक फर्म से 74 लाख की ठगी में तीसरा आरोपी पंजाब से काबू, 2 दिन के पुलिस रिमांड पर
कविताएँ

तेरी औकात — मशीनी दौर

September 25, 2019 12:32 PM


तेरी बुराइयों को हर अखबार कहता है
और तू मेरे गाँव को गँवार कहता है।

ऐ शहर मुझे तेरी औकात पता है,
चुल्लूभर पानी को तू वाटर पार्क कहता है।

थक गया है हर शख्स काम करते—करते,
तू इसे अमीरी का बाजार कहता है?

गाँव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास,
तेरी सारी फुर्सत तेरा इतवार कहता है।

मौन होकर फोन से रिश्ते निभाए जा रहा है,
तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है?

जिनकी सेवा में बिता देते सारा जीवन,
तू उन माँ-बाप को खुद पर बोझ कहता है।

वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे,
तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदारियां कहता है।

बड़े—बड़े मसले हल करती यहां पंचायतें,
तू अँधी भष्ट दलीलों को दरबार कहता है।

बैठ जाते हैं अपने पराये साथ बैलगाड़ी में,
पूरा परिवार ना बैठ पाये उसे तू कार कहता है।

अब बच्चे भी बडों का आदर भूल बैठे हैं,
तू इस नये दौर को संस्कार कहता है?

जिंदा है आज भी गाँव में देश की संस्कृति,
भूल के अपनी सभ्यता खुद को तू शहर कहता है ।।

— आर के मिश्रा

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें