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राष्ट्रीय

केजरीवाल की गिरफ़्तारी पर जर्मनी एवं अमेरिका के बाद अब यूएनओ भी बोला

March 29, 2024 04:15 PM

संजय कुमार मिश्रा:
जर्मनी एवं अमेरिका के बाद अब संयुक्त राष्ट्र ने भी अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनी गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफ़न दुजारिक ने एक पत्रकार वार्ता में अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी और कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज करने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, हम उम्मीद करते हैं कि दूसरे किसी भी लोकतान्त्रिक देश की तरह जहाँ चुनाव हो रहा है, भारत में भी राजनीतिक और नागरिक अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। प्रवक्ता ने आगे कहा कि दुनिया को उम्मीद है कि हर भारतवासी स्वतंत्र और निष्पक्ष माहौल में भारत के संसदीय चुनावों में वोट कर सकेगा।
ज्ञात हो कि प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की आबकारी नीति में हुए कथित अनियमितता से जुड़े केस में 21 मार्च को गिरफ़्तार किया था। इस गिरफ्तारी पर पहले जर्मनी फिर अमेरिका कुछ इसी तरह का बयान पहले ही दे चुके है। अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने सोमवार को कहा था कि अमेरिका, अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से जुड़ी रिपोर्ट्स पर बारीकी से नज़र रख रहा है और वह निष्पक्ष क़ानूनी प्रक्रिया को मज़बूत करने के पक्ष में खड़ा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के इस बयान को 'अवांछित' क़रार देते हुए भारत ने इसका कड़ा विरोध जताया है। भारत में मौजूद अमेरिका के कार्यवाहक डिप्टी चीफ ऑफ मिशन गलोरिया बारबेना को भारतीय विदेश मंत्रालय में तलब किया गया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कांग्रेस पार्टी के बैंक खाते फ्रीज किए जाने के आरोपों का भी जवाब दिया और कहा कि हमारी चुनावी और क़ानूनी प्रक्रियाओं पर दूसरे देशों के आरोप पूरी तरह अस्वीकार्य हैं।
अमेरिकी राजनयिक को तलब किए जाने के बाद फिर से केजरीवाल और कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से सवाल पूछा गया था, जिसपर मैथ्यू मिलर ने कहा, “हम कांग्रेस पार्टी के आरोपों से भी अवगत हैं कि आयकर विभाग ने उनके कुछ बैंक खातों को फ़्रीज़ कर दिया है, जिससे कि आगामी चुनावों में प्रचार करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। हम इनमें से हर मुद्दे के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर क़ानूनी प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करते हैं।"
पिछले सप्ताह सोनिया गांधी सहित कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा था कि महज़ 14 लाख रुपये के टैक्स बकाये से जुड़े मामले में पार्टी के 285 करोड़ रुपये के फंड को रोक दिया गया है।
दुनियां केजरीवाल के गिरफ़्तारी पर क्यों बोल रही है?
खुद प्रधानमंत्री मोदी दुनियाँभर में घूम घूम कर बता चुके है कि भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और लोकतंत्र यहाँ के डीएनए में बसता है। यही नहीं प्रधानमन्त्री ने भारत को मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी कहा है मतलब लोकतंत्र की जननी।
लेकिन बीते कुछ समय से लोगों द्वारा ऐसा महसूस किया जा रहा है कि भारत में लोकतंत्र खात्मे की तरफ बढ़ रहा है। जिस तरह ईडी एवं सीबीआई सिर्फ विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई कर रही है, पुराने मामले को खोलकर उनको जेल में डाला जा रहा है, ताकि वो चुनाव नहीं लड़ सके। भारत का चुनाव आयोग भी इस पर मौन है एवं विपक्षी पार्टियों को एक समान चुनावी प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाने में विफल दिख रहा है। सदन में सरकार से सवाल पूछने वाले सांसद या तो जेल में डाल दिए जाते हैं या उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाती है, अगर सदस्यता समाप्त नहीं कर पाए तो सत्र चलने तक उसे सदन से ही निलंबित कर दिया जाता है, ताकि सदन में कोई विरोध का स्वर ना उठे। चुनाव से ठीक पहले देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस पार्टी के बैंक खाते को फ्रीज़ कर देने जैसी घटना ये सोचने को मजबूर कर रहा है कि भारत का लोकतंत्र मोदी जी के कथनानुसार कांग्रेस विहीन नहीं बल्कि विपक्ष विहीन लोकतंत्र की तरफ बढ़ रहा है और ये निश्चित ही किसी भी लिहाज से मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी की पहचान नहीं हो सकती।
वैसे तो प्रधानमन्त्री मोदी का कहना है कि उनकी लड़ाई भ्रष्टाचार से है और जिसने भी भ्रस्टाचार किया होगा वो जेल जाएगा, ये बात भी गले नहीं उतरती है क्योंकि अगर लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ होती तो महाराष्ट्र में अजित पवार भी जेल में होते, लेकिन वो भाजपानीत सरकार में मंत्री है। अगर लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ होती तो असम के मुख्यमंत्री हेमंता विश्व शर्मा को भी जेल में होना चाहिए था लेकिन वो भाजपा में शामिल होकर असम के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान है। यदि लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ होती तो कर्नाटका की 40% वाली बीजेपी सरकार के मुखिया के खिलाफ एक्शन लिया जाता। ऐसे कई अनगिनत मामले हैं जो मोदी जी के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की हवा निकाल रहे है और शायद यही सब कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को बोलने का मौक़ा मिल रहा है। चाहे जितनी बार भी भारत सरकार सफाई दे, विदेशी राजनयिकों को तलब करता रहे लेकिन जो दिखता है लोग उसके बारे में बातें तो करेंगे ही।

 
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