जैन धर्म में उत्तम ब्रह्मचर्य आत्मा की शुद्धि का सर्वोत्तम साधन माना गया है : लब्धि दीदी
फेस2न्यूज /चंडीगढ़
श्री दिगम्बर जैन मंदिर, सेक्टर 27-बी में दशलक्षण महापर्व के 10वें दिन उत्तम ब्रह्मचर्य दिवस एवं अनंत चतुर्दशी महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। प्रातःकालीन कार्यक्रम में मूलनायक भगवान महावीर स्वामी का प्रथम अभिषेक व शांति धारा निर्मल जैन परिवार, खेकरि (राजस्थान) द्वारा संपन्न हुआ।
द्वितीय अभिषेक व शांतिधारा का लाभ डॉ. संयोग जैन को प्राप्त हुआ। पाण्डुक शिला पर शांतिनाथ भगवान का अभिषेक व शांतिधारा भारत भूषण जैन, अंशुल जैन परिवार द्वितीय शांतिधारा व्रती श्रद्धालुओं द्वारा की गयी। आज के सौधर्मेन्द्र रजनीश जैन, यज्ञनायक अशोक जैन, कुबेर इन्द्र का लाभ शरद जैन ने उठाया। आज वासुपूज्य भगवान् का मोक्ष कल्याणक दिवस बारे हर्षोउल्लास से मनाया गया, इस अवसर पर निर्वाण लाडू करुण जैन, सौम्या जैन परिवार द्वारा अर्पित किया गया। 51 लोगों द्वारा भी लड्डू अर्पित किए गए। दशलक्षण विधान पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति भाव से संपन्न हुआ।
लब्धि दीदी ने उत्तम ब्रह्मचर्य का महत्व बताते हुए कहा कि जैन धर्म में उत्तम ब्रह्मचर्य आत्मा की शुद्धि का सर्वोत्तम साधन माना गया है। यह इंद्रिय संयम, मन, वचन और शरीर की पवित्रता का प्रतीक है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति विषय-वासना और मोह-माया से दूर होकर आत्मकल्याण की ओर अग्रसर होता है। यह धर्म साधना का आधार स्तंभ है तथा मोक्ष मार्ग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सायंकाल 4 बजे अनंत चतुर्दशी महोत्सव मनाया गया। भगवान की भव्य प्रतिमा शोभायात्रा पालकी में निकाली गई। पालकी में भगवान् को नितिन जैन सौधर्मेन्द्र, अनिल कुमार कुबेर, अंशुल जैन दिल्ली- सनत कुमार ,अमित जैन, दामोदर जैन - ईशान इन्द्र के कन्धों पर विराजमान करके तीन बार बाजे-गाजे के साथ मंदिर परिक्रमा की गयी। समस्त धार्मिक प्रक्रियाओं के बाद भगवान की प्रतिमा को पुनः गुप्ति सागर हॉल में विराजमान किया गया। इस पावन अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और पुण्य लाभ अर्जित किया। आज के अवसर पर सम्पूर्ण कार्यकारिणी उपस्थित रही। कार्यकारिणी अध्यक्ष धरम बहादुर जैन ने समस्त जैन समाज का अभिवादन करते हुए श्रद्धालुओं से दशलक्षण धर्म का अपने जीवन में समावेश करने का आहवान किया।