दीपक सिंह /मोहाली/चंडीगढ़
आरोग्य विद्या एवं नेचरोपैथी इंस्टीट्यूट मोहाली और खालसा कॉलेज(अमृतसर) ऑफ टेक्नोलॉजी और बिज़नेस स्टडीज मोहाली ने मिल कर नेचरोपैथी दिवस का आयोजन किया । इस उत्सव के आयोजन में डॉ हरीश कुमारी, प्रिंसिपल, खालसा कॉलेज मोहाली का पूर्ण सहयोग मिला, उन्होंने ही ऑडिटोरियम ,म्यूजिक सिस्टम इत्यादि का इंतजाम किया ।
कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत गीत से हुई जिसे ज्योत्स्ना सतीज ने गाया और मंच का संचालन भी किया। उत्सव की शुरुआत दीपशिखा प्रजलित से हुई और नीतू शर्मा के शंखनाद से वातावरण एक दम भक्ति भाव बाला हो गया।
इस बार थीम है,"नी सर गाम" मतलब,शारीरिक स्वास्थ के लिए प्रकृति की और मुड़े और भावनात्म और मानसिक स्वास्थ्य के लिए समुदाय की और लौटे।
शुरुआत अंजना सोनी के योग प्राणायाम और मेडिटेशन से हुई उस के बाद डॉ गुरबाज ने भोजन की बात करते हुये कहा कि मैंने नेचुरोपैथी का डिप्लोमा किया अपने पर अपनाया,उस से मेरे बिजनेस में काफी अच्छे परिणाम मिले क्योंकि मैं डाइटिटिश हूंऔर लोगों को भोजन क्या ले,परामर्श देता हूं।
डॉ राजीव कपिला नोडल अधिकारी आयुर्वेद डिस्पेंसरी चंडीगढ़ ने कहा कि नैचुरोपैथी और आयुर्वेद एक ही हैं। हमें दिनचर्या और रितुचर्य का पालन करना होगा, जब जठराग्नि भरपूर होती है सब ठीक हजम हो जाता है स्वास्थ ठीक रहता है उस के लिए देसी घी का इस्तेमाल करें दिनचर्या और रितुचर्य को अपनाए ।
डॉ दीपांजलि ऑरोरा ने पंच महाभूतो के सम्मान को कहा कि इन को दूषित ना करो बल्कि शुक्राना करो। डॉ एम पी डोगरा ने कहा कि इस बार का थीम " नी सर गाम," को अपनाना होगा क्यूंकि "प्रकृति से दूर विकृति है" और आज हम सब इससे बहुत ही दूर हो गए हैं न सुबह जल्दी उठना न सैर, योग, प्राणायाम,और व्यायाम, भोजन भी ऋतु अनुसार नहीं फास्ट फूड में लिप्त हो गये है। आपस में भाईचारा दोस्ती खत्म, रिश्ते मतलब के , नतीजा टेंशन ,घृणा, जलन,फोबिया न जाने क्या क्या ,और आज समाज एक अंधी दौड़ में है चैन नहीं तो फिर क्या करना है रास्ता एक ही है, "प्रकृति की और लौटे और सामाजिक भाईचारा," तो इस के लिये करना क्या है? सब को अपना समझो, प्यार करना सीख लो , प्रकृति का सम्मान करो । तभी हम एक अच्छा समाज की रचना कर सकेंगे और आज हम जो नेचरोपैथी दिवस उत्सव मनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं वे सब बस एक ही प्रण करें कि अच्छा समाज बनाने में अपना योगदान देंगे तो रास्ता एक ही है, "प्यार, मुहब्बत,सद्भावना और प्रकृति प्रेम" सभी ने इस के लिये हैं कहा,
अंत में सभी ने हंसी क्रिया की और प्रसाद वितरण के बाद उत्सव का समापन हुआ