पीयू में धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग, आरटीआई से मिले सबूत पेश करने का दावा, सीबीआई करे जांच : डॉ. सिंगला, उच्चाधिकारियों को खुला पत्र लिख कर डॉ. सिंगला ने उठाए गंभीर सवाल
चण्डीगढ़ :
पंजाब विश्वविद्यालय की निर्माण परियोजनाओं में करोड़ों रुपये के सरकारी अनुदान के कथित गबन का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. सिंगला ने एक खुले पत्र के माध्यम से विश्वविद्यालय में हुए इस घोटाले पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और उपकुलपति, केंद्र और पंजाब सरकार, सीबीआई, विजिलेंस, सीवीओ-पीयू और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
डॉ. सिंगला का कहना है कि पिछले दो दशकों में विश्वविद्यालय के सेक्टर 14 और 25 परिसरों में हुई निर्माण परियोजनाओं में सरकारी धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने इस संबंध में दस्तावेजी सबूत भी पेश करने का दावा किया है, जिसमें कुख्यात सीमेंट घोटाला, बहुउद्देश्यीय सभागार घोटाला और राजीव गांधी भवन के निर्माण में हुई अनियमितताएँ शामिल हैं। इन मामलों ने पहले भी मीडिया में खूब सुर्खियाँ बटोरी थीं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
सिंडिकेट ने भी मानी अनियमितताएँ
2018 में पंजाब विश्वविद्यालय की सिंडिकेट ने भी माना था कि पिछले 16 वर्षों में एक्सईएन आरके राय की देखरेख में हुई नई इमारतों में तकनीकी और वित्तीय अनियमितताएँ पाई गई थीं। सिंडिकेट ने इस पर विश्वविद्यालय के उपकुलपति को आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन चार साल बीत जाने के बावजूद इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया।
सीमेंट घोटाला और प्रमोशन का विवाद
डॉ. सिंगला ने 1993 में विश्वविद्यालय स्टोर से सीमेंट की चोरी का मामला भी उजागर किया था। जांच रिपोर्ट में तत्कालीन सब डिविजनल इंजीनियर आर.के. राय को दोषी पाया गया था, लेकिन उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के बजाय उन्हें प्रमोट कर कार्यकारी अभियंता (एक्सईएन) बना दिया गया। डॉ. सिंगला का आरोप है कि इस मामले से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज रहस्यमय तरीके से गायब हो गए हैं, और विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है।
आरटीआई से मिले तथ्य और प्रशासन की चुप्पी
डॉ. सिंगला का यह भी आरोप है कि विश्वविद्यालय के सूचना अधिकारियों ने आरटीआई के तहत दस्तावेजों का खुलासा करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी अनुदान की कुल राशि और वित्तीय घाटे की जानकारी भी छिपाई जा रही है, जबकि यह जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होनी चाहिए थी। डॉ. सिंगला ने आशंका जताई है कि आर.के. राय को अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें सेवानिवृत्ति से पहले छुट्टी पर भेज सकता है, ताकि वे बिना किसी परेशानी के 2025 में पूरी पेंशन और लाभों के साथ सेवानिवृत्त हो सकें।
पारदर्शिता की मांग और उम्मीद
डॉ. सिंगला ने पत्र में लिखा है कि सरकारी धन से चलने वाले संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही होनी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई है कि यह पत्र किसी ईमानदार अधिकारी तक पहुंचेगा, जो इन घोटालों की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा।
डॉ. सिंगला ने 2003 में एनएचएआई के इंजीनियर सतेंद्र दुबे की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी बेहद जरूरी है। दुबे की शिकायतों पर कार्रवाई न होने के कारण उनकी हत्या ने पूरे देश को शर्मसार किया था।
पंजाब विश्वविद्यालय की छवि पर सवाल
डॉ. सिंगला का मानना है कि पंजाब विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में व्याप्त इस तरह के घोटाले न केवल सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का संकेत देते हैं, बल्कि इससे विश्वविद्यालय की छवि और इसकी जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े होते हैं। अगर इस घोटाले की गहन जांच की जाए तो कई अन्य अनियमितताएँ भी सामने आ सकती हैं।