फेस2न्यूज /पंचकुला
आदर्श रामलीला एवं ड्रामाटिक क्लब, शालीमार ग्राउंड, सेक्टर-5, पंचकुला के मंच पर चौथे दिवस भगवान श्रीराम की भव्य बारात जनकपुरी पहुँची। गाजे-बाजे, जयघोष और मंगल ध्वनियों के बीच राजा दशरथ अपने चारों पुत्रों के साथ बारात लेकर आए। मंत्रोच्चारण और वैदिक विधियों के बीच जनकपुरी में श्रीराम और सीता का पावन विवाह सम्पन्न हुआ। कन्यादान के इस भावुक क्षण में राजा जनक ने भारी मन से अपनी सुपुत्री सीता को विदा किया।
विवाहोत्सव के बाद अयोध्या में उत्सव का आल्हादपूर्ण वातावरण छा गया। राजा दशरथ ने हर्षपूर्वक श्रीराम के राज्याभिषेक की घोषणा की। लेकिन आनंद का यह पर्व अचानक शोक में बदल गया जब मंथरा की कपटी चाल से रानी कैकेयी का मन परिवर्तित हो गया। कैकेयी ने दशरथ से अपने दो वरदान मांग लिए—पहला, अयोध्या का सिंहासन भरत को देने का, और दूसरा, श्रीराम को चौदह वर्षों के लिए वनवास भेजने का।
“रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई” की परंपरा निभाते हुए, राजा दशरथ ने विवश होकर कैकेयी के वर स्वीकार किए। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने पिता के वचनों को सहजता से मानते हुए वनगमन का निर्णय लिया।
कोपभवन का यह भावनाओं से भरा दृश्य मंच पर जीवंत हो उठा। राजा दशरथ और कैकेयी के संवादों, मंथरा की धूर्तता और राम के त्यागपूर्ण निर्णय ने दर्शकों को गहराई तक भावुक कर दिया। दर्शकों की भारी भीड़ ने कलाकारों की अदाकारी और मंचन की भव्यता की जमकर सराहना की।