फेस2न्यूज/जेनेवा:
वैश्विक मीडिया सुरक्षा एवं अधिकार संगठन प्रेस एम्बलम कैंपेन (PEC) ने उत्तराखंड के पत्रकार राजीव प्रताप सिंह की रहस्यमयी मौत पर गहरी चिंता जताई है और इसके पीछे की सच्चाई सामने लाने के लिए निष्पक्ष जाँच की माँग की है। 36 वर्षीय राजीव का शव 28 सितंबर, रविवार को भागीरथी नदी पर बने जोशियारा जलविद्युत बैराज से बरामद हुआ था। वह 18 सितंबर से लापता थे।
नई दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) के पूर्व छात्र राजीव "दिल्ली उत्तराखंड लाइव" नामक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म चलाते थे, जो खास तौर पर स्थानीय मुद्दों को उजागर करता था।
पीईसी के अध्यक्ष ब्लेज़ लेम्पेन ने कहा— "हम चाहते हैं कि राजीव प्रताप सिंह की मौत की परिस्थितियों की गंभीर और निष्पक्ष जाँच हो। यदि इसमें किसी की संलिप्तता पाई जाती है तो उन्हें क़ानून के तहत दंडित किया जाए। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस मामले में व्यक्तिगत रूप से पहल करनी चाहिए, क्योंकि कहा जा रहा है कि पत्रकार को उनकी रिपोर्टिंग के कारण कई बार धमकियाँ मिली थीं।"
पीईसी के दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया प्रतिनिधि नव ठाकुरिया ने बताया कि इस वर्ष अब तक दुनिया भर में 136 पत्रकार अपनी जान गंवा चुके हैं। कुछ महीने पहले नेपाल की राजधानी काठमांडू में राजशाही समर्थक आंदोलन के दौरान पत्रकार सुरेश रजक की हत्या कर दी गई थी।
भारत में भी 1 जनवरी 2025 से अब तक पत्रकार मुकेश चंद्राकर, राघवेंद्र वाजपेयी, सहदेव डे, धर्मेंद्र सिंह चौहान और चिंताकयालु नरेश कुमार की हत्या हो चुकी है। वहीं, बांग्लादेश में कम से कम चार पत्रकार—मोहम्मद असदुज्जमां तुहिन, बिभुरंजन सरकार, अनवर हुसैन और खंडाकर शाह आलम—की हत्या कर दी गई।