कंज्यूमर कोर्ट अजमेर का महत्वपूर्ण फैसला.
फेस2न्यूज /अजमेर
अजमेर के एक दंपति को अयोध्या से जयपुर के लिए बुक की गई फ्लाइट कैंसिल होने पर यात्रा की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करने को गंभीर सेवा दोष मानते हुए अजमेर की उपभोक्ता अदालत ने स्पाइसजेट एयरलाइंस पर साठ हजार रुपए जुर्माना लगाया है।
पीड़ित परिवादी नारीशाला रोड निवासी मनीष शर्मा ने एडवोकेट तरुण अग्रवाल के जरिए वाद पेश कर बताया कि उसने अपने व अपनी पत्नी का स्पाइसजेट एयरलाइंस में 30 मार्च 2024 का अयोध्या से जयपुर के लिए IXIGO वेब पोर्टल के माध्यम से टिकट बुक करवाया था। यात्रा की तारीख से 2 दिन पूर्व उनके पास फ्लाइट रद्द होने का मैसेज आया जिसमें फ्लाइट रद्द होने का कारण नहीं बताया गया था। शर्मा ने एयरपोर्ट जाकर फ्लाइट रद्द होने का कारण व वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में जानकारी ली तो कोई संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं दे पाया। अचानक फ्लाइट रद्द होने से परिवादी व उसकी पत्नी भारी परेशानी में आ गए क्योंकि उस समय अयोध्या में लाखों यात्री रामलला के दर्शन हेतु आए हुए थे।
इसी स्थिति का पूर्व आभास करते हुए तथा अपने स्वास्थ्य कारणों व सुविधा में आराम हेतु एक माह पूर्व फरवरी में ही टिकट बुक करवाया था ताकि उन्हें यात्रा में कोई परेशानी ना हो। किंतु फ्लाइट रद्द होने से परिवादी व उसकी पत्नी को किराए की टैक्सी कर अजमेर आना पड़ा जो कि बड़ा कष्टदायक रहा है साथ ही अनावश्यक खर्च भी वहन करना पड़ा। इसके अतिरिक्त एयरलाइंस द्वारा टिकट की राशि भी विलंब से व टुकड़ों में लौटाई गई।
परिवादी के वकील द्वारा आयोग के समक्ष रखे तथ्यों, न्यायिक दृष्टांतों व दस्तावेजों के आधार पर आयोग ने पाया कि सेवा प्रदाता द्वारा सेवा का वचन देकर उसे समय पर उचित एवं अपेक्षित रूप में प्रदान नहीं करना सेवा में दोष है।
एयरलाइंस की जवाबदेही..
आयोग का दृढ़ मत है कि हवाई यात्रा केवल एक व्यावसायिक लेन-देन नहीं है बल्कि उपभोक्ता के समय, विश्वास एवं जीवन की योजनाओं से जुड़ी एक महत्वपूर्ण सेवा है। इससे संबंधित लापरवाही को आयोग किसी भी स्तर पर सहन नहीं करेगा। आयोग यह भी आवश्यक समझता है कि वर्तमान प्रकरण में विपक्षी एयरलाइन की लापरवाही केवल टिकट रद्दकरण अथवा विलंबित रिफंड तक सीमित नहीं रही है बल्कि उसके परिणाम स्वरुप परिवादी एवं उसकी पत्नी के बेशकीमती क्षण, पूर्वनियोजित यात्रा, मानसिक शांति, पारिवारिक समय तथा विश्वास भी व्यर्थ हुए जिसकी मुद्रा में वास्तविक भरपाई संभव नहीं है। उपभोक्ता के समय एवं मानसिक शांति का मूल्य मात्र धनराशि से नहीं आका जा सकता है।
एयरलाइंस की आंतरिक/ प्रशासनिक प्रक्रिया का बोझ उपभोक्ता पर नहीं डाला जा सकता। आधुनिक उपभोक्ता व्यवस्था में एयरलाइन से केवल परिवहन नहीं बल्कि समय, सुरक्षा और भरोसे की सेवा अपेक्षित होती है। टिकट मूल्य प्राप्त कर सेवा प्रदान नहीं करना या रिफंड में अनावश्यक विलंब करना उपभोक्ता के साथ आर्थिक एवं मानसिक उत्पीड़न के समान है।
आयोग के अध्यक्ष अरुण कुमावत, सदस्य जयश्री शर्मा व दिनेश चतुर्वेदी ने परिवाद स्वीकार कर स्पाइसजेट एयरलाइंस को आदेश दिया कि वह परिवादी को हुई मानसिक वेदना, आर्थिक संताप, भारी असुविधा एवं सेवा दोष के प्रति कर स्वरूप ₹50000 एवं वादव्यय स्वरूप ₹10000 आदेश की तिथि से 45 दिन में अदा करें। साथ ही चेतावनी दी कि यदि भविष्य में इस प्रकार की सेवा में कमी अथवा उपभोक्ता अधिकारों के प्रकरण पुनः संज्ञान में आते हैं तो आयोग केवल प्रतिकार तक सीमित न रहकर दंडात्मक लागत एवं उपभोक्ता कल्याण कोष में राशि जमा जैसे कठोर आदेश पारित करेगा।