हरि शर्मा/पंचकूला
पंचकूला गोशाला ट्रस्ट के माता मनसा देवी गोधाम में गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौ और बैलों का पूजन बड़े ही हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया गया।
इस अवसर पर प्रमुख पंडित सतीश शर्मा शास्त्री ने गोपाष्टमी के महत्व के बारे में बताया कि गोपाष्टमी प्राचीन काल से निभाई जा रही सांस्कृतिक व धार्मिक परंपरा है। गोपाष्टमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को पड़ने वाला एक सनातनी त्योहार है, जिसमें गाय और बैल की पूजा की जाती है। यह उस युग का उत्सव है जब कृष्ण के पिता नंद ने कृष्ण को वृंदावन की गायों की देखभाल की जिम्मेदारी दी थी।
ट्राईसिटी से भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने गौ व बैलों का पूजन किया व परिवार, समाज व राष्ट्र के लिए शुभकामनाएँ की। समाजसेवी हरीश शर्मा ने बताया कि गौ-सेवा से अहिंसा की भावना जागृत होती है, व्यक्ति नि:स्वार्थ व विनम्र बनता है, जीवन में धैर्य और समर्पण आता है। नियम से जो व्यक्ति गौ सेवा करता है, वो व्यक्ति ज़िम्मेदार बनता है। इससे न केवल समाज कल्याण व राष्ट्र भावना पनपती है बल्कि गोपाष्टमी से जीवों की सेवा व सुरक्षा के भाव को बढ़ावा मिलता है।