चण्डीगढ़ : जाट सभा, चण्डीगढ़-पंचकूला के अध्यक्ष डॉ महेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि सेठ छाजू राम दानवीर, देशभक्त और सच्चे समाजसेवी थे उनकी जीवनी को राष्ट्र स्तर पर स्कूली पाठ्यक्रम में जोड़ना चाहिए ताकि देश के युवा उनके जीवन से संघर्ष , दान भावना और देशभक्ति के जज्बे से प्रेरणा ले सकें। डॉ मलिक आज सेठ छाजू राम की जयंती के अवसर पर जाट सभा, चण्डीगढ़-पंचकूला एवं सर छोटू राम जाट सभा कटड़ा (जम्मू कश्मीर) द्वारा यहां सेक्टर 27 में स्थित जाट भवन में आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। इससे पूर्व, सेठ चौधरी छाजू राम की याद में हवन किया गया।
डॉ मलिक ने बताया कि वे साधारण परिवार से उठकर उस जमाने के भामाशाह बने, क्योंकि वे 24 कंपनियों के शेयरधारक ही नहीं थे, बल्कि 9 कंपनियों के डायरेक्टर भी रहे। चौधरी छाजू राम जी कुछ समय के लिए पंजाब नेशनल बैंक के डायरेक्टर भी रहे।
सेठ छाजू राम दानवीर, देशभक्त और सच्चे समाजसेवी थे। उनके दानवीर के बहुत से उदाहरणों में से कुछ का जिक्र करते हुए डा. मलिक ने बताया कि रविंद्र नाथ टैगोर की संस्था शांति निकेतन से लेकर विभिन्न शिक्षण संस्थाओं की सेठ छाजू राम जी ने आर्थिक मदद की। उन्होंने बच्चों को शिक्षण संस्थाओं के अलावा दसवीं कक्षा में मैरिट लेने वाले बच्चों को वजीफा देकर आर्थिक सहायता की एवं मरने से पहले लगभग उस समय के 90 करोड़ का दान उन्होंने विभिन्न सामाजिक संस्थाओं को किया।
इस मौके पर सेठ छाजू राम जाट कॉलेज, हिसार के प्रोफेसर रहे मदन मोहन जुनेजा ने अपने व्यक्तव्य में उन्हें देशभक्त बताया और कहा कि सरदार भगत सिंह द्वारा सांडरस के मारने के उपरांत कुछ समय अपने कलकत्ता के निवास पर गुप्त रूप से रख कर सच्चे देशभक्त होने का सौभाग्य प्राप्त किया। इसी प्रकार, दूसरा उदाहरण नीरा आर्य और उसके भाई बसंत को गोद लिया, उनका पालन पोषण किया, उनकी शादी की।
लड़की नीरा आर्य ने बाद में सुभाष चंद्र बोस को षड्यंत्र के तहत मरने से बचाया। यह भी उनका देशभक्तों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से किया गया कार्य था। प्रो. जुनेजा ने कहा कि सेठ छाजू राम हमारे प्रेरणास्रोत हैं। उन्हें इसी प्रकार के आयोजन कर हर वर्ष याद किया जाना चाहिए। इससे हमारी आगे आने वाली पीढ़ियां उनकी तरह पैसे की कीमत को समझते हुए ईमानदार की प्रेरणा ले सकेंगी।
इस अवसर पर निर्णय लिया गया कि केंद्र एवं प्रदेश सरकार को एक प्रस्ताव भेज कर मांग की जाएगी कि सेठ चौधरी छाजू राम जी के जीवन पर आधारित तथ्यों को हरियाणा ही नहीं बल्कि स्कूल के पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर पर जोड़ा जाए।